सेना का कॉकस ही चलाता है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, एक लेख में सामने आई असलियत
पाकिस्तान में सेना का व्यवहार वहां की जनता के लिए संरक्षक का नहीं बल्कि ऐसे क्रूर आक्रांता जैसा है जैसे वे दूसरे देश से आए हैं। पाकिस्तान बेशक गरीब देशों की श्रेणी में आता हो लेकिन यहां के नेता संपत्ति के मामले में मालामाल हैं।
लंदन, एएनआइ। पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था का अधिकांश हिस्सा सरकार नहीं बल्कि सेना के हाथों में है। सेना के बड़े अफसरों ने ऐसा क्रूर बिजनेस कॉकस बना रखा है, जो फैक्टरियों से लेकर व्यापार, खेत से लेकर खलिहान तक सभी पर कब्जा किए हुए हैं।
लंदन के लेखक इलियट विल्सन ने 'द स्पेक्टेटर' पत्रिका में अपने लेख में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और उसमें सेना के दखल का विस्तार से उल्लेख किया है। लेख में जानकारी दी गई है कि पाकिस्तान में सेना के 62 लाख जवान हैं। यह विश्व की सातवीं बड़ी सेना है और इस सेना को चलाने वाले बड़े अधिकारी लाभ कमाने के लिए वाणिज्यिक संस्थानों में पूरी तरह दखल देते हैं।
सेना का यह कुचक्र 1947 में देश के अस्तित्व में आने के बाद से ही शुरू हो गया था। अब पूरे पाकिस्तान के अर्थतंत्र में यह इस कदर जड़ें जमा चुका है कि कहना मुश्किल है कि इससे मुक्त होकर पूंजीवाद सही मायनों में कब शुरू हो पाएगा।
विल्सन ने पाकिस्तान की डा.आयशा सिद्दीका की 2007 में प्रकाशित 'मिलिट्री इंक:इनसाइड पाकिस्तान मिलिट्री इकोनॉमी' का भी अपने लेख में जिक्र किया है।
विल्सन ने लिखा है कि यहां की सेना, वायुसेना और नौ सेना सौ से भी अधिक वाणिज्यिक संस्थान पर नियंत्रण रखती हैं। जहां सीमेंट बनाने से लेकर अनाज पैदा करने तक सभी काम उनके नियंत्रण में है।
यही कारण है कि सेना का व्यवहार वहां जनता के लिए संरक्षक का नहीं बल्कि ऐसे क्रूर आक्रांता जैसा है, जैसे वे दूसरे देश से आए हैं।
बता दें कि पाकिस्तान बेशक गरीब देशों की श्रेणी में आता हो, लेकिन यहां के नेता संपत्ति के मामले में मालामाल हैं। 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 12 सदस्य अरबपति हैं। अन्य सदस्य भी संपत्ति के मामले में करोड़पति से कम नहीं हैं। उनकी देश-विदेश में जमीनों के साथ ही शेयर मार्केट में अच्छा-खासा निवेश है। डॉन न्यूज ने चुनाव आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया था कि अरबपति 12 सांसदों में पांच इमरान की पार्टी तहरीक ए इन्साफ (पीटीआइ) के और दो उनकी सहयोगी पार्टी के हैं।