Pakistan Economy Collapse: कंगाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान के जानें क्या है बड़े बोल
Pakistan Economy Collapseपाकिस्तान में महंगाई बेरोजगारी बिजली पानी और सड़क जैसी बुनियादी चीजों की बहुत दिक्कत है। लोगों का ध्यान भटकाने की हुकूमत की यह शातिर रणनीति है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Pakistan Economy Collapse आर्थिक मोर्चे पर बदहाल पाकिस्तान जंग में भारत को मटियामेट करने का दिवास्वप्न देख रहा है। कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की उकसाऊ बयानबाजी को दुनिया न केवल समझ रही है बल्कि उसके निहितार्थ भी निकाल रही है। आज के युग में जंग लड़ना आसान बात नहीं है।
पाकिस्तान तो पहले ही आर्थिक मोर्चे पर फटेहाल है। तभी तो उसकी गीदड़भभकी को रक्षा मामलों के विशेषज्ञ अपने नागरिकों का ध्यान भटकाने के सिवा कुछ नहीं मान रहे हैं। दरअसल पाकिस्तान में महंगाई, बेरोजगारी, बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी चीजों की बहुत दिक्कत है। लोगों का ध्यान भटकाने की हुकूमत की यह शातिर रणनीति है।
भारत से छोटी अर्थव्यवस्था
विश्व बैंक के मुताबिक, 2018 के अंत में पाक की जीडीपी 254 अरब डॉलर थी। भारत के लिए यह आंकड़ा 2.84 लाख ट्रिलियन डॉलर था। यानी भारतीय अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से 11 गुना अधिक है। अगर भारत 2019 में 7 फीसद की दर से बढ़ता है, तो यह सिर्फ एक वित्तीय वर्ष में लगभग 200 अरब डॉलर जोड़ देगा। जो कि पाकिस्तान के 2018 की जीडीपी का लगभग 80 फीसद है। जो जीडीपी आज पाकिस्तान की है वह 44 साल पहले 1975 में भारत की थी।
उतार-चढ़ाव भरी अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह औसतन 4.3 फीसद की दर से बढ़ रही है। इसकी आर्थिक गति तेजी से नीचे खिसक रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के अनुसार, 2019 और 2020 में पाक की जीडीपी में बढ़त दर 3 फीसद से भी कम रह जाएगी। धीमी वृद्धि ने खुदरा महंगाई में तेज वृद्धि को समाप्त नहीं किया है, जो मई 2019 में 9 फीसद के करीब थी। साथ ही, पाकिस्तान को गंभीर वित्तीय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। सरकार का राजकोषीय संतुलन, भारत में राजकोषीय घाटे के बराबर है। इस सप्ताह प्रकाशित ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, राजकोषीय घाटा 8.9 फीसद दर्ज किया गया, जो तीन दशकों में सबसे अधिक है। पाकिस्तानी रुपया 157 रुपये प्रति डॉलर है।
बर्बाद अर्थव्यवस्था का कारण
कई पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान की बर्बाद अर्थव्यवस्था का मूल कारण इसकी शिथिल राजनीतिक व्यवस्था है, जो अभी भी कर्ज और संरक्षण पर चलती है, और काफी हद तक पारदर्शिता से रहित है और संस्थागत स्वायत्तता से दूर है।
गले की फांस बना एफएटीएफ
आतंकी संगठनों की फंडिंग की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में डाले जाने के बाद अब पाकिस्तान एशिया पैसिसिफ समूह (एपीजी) से ब्लैकलिस्ट भी हो चुकै है। ब्लैकलिस्ट होने की स्थिति में आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए कई चुनौतियां एक साथ पेश हो गई हैं। पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था वैश्विक वित्तीय व्यवस्था से बिल्कुल कट जाएगी।
कर्ज लेकर घी पीना
वर्तमान में पाकिस्तान के ऊपर 85 अरब डॉलर (भारतीय रुपये में लगभग 6 लाख करोड़) से अधिक का कर्ज बकाया है। इसने पश्चिमी यूरोप और मध्य पूर्व के बहुत से देशों से कर्ज लिया हुआ है। सबसे ज्यादा कर्ज इसने चीन से ले रखा है। इसने अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थानों से भी पर्याप्त कर्ज लिया हुआ है। इस साल मई में, पाकिस्तान 23वीं बार आइएमएफ के पास पहुंचा और छह अरब डॉलर की बेलआउट पैकेज की मांग की। आइएमएफ ने कड़ी शर्तों के साथ 39 महीनों के लिए छह अरब डॉलर का कर्ज देने को मंजूरी दे दी। हालांकि यह समझौता अभी स्टाफ के स्तर पर हुआ है। इसे औपचारिक मंजूरी मिलना बाकी है। अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद वाशिंगटन में आइएमएफ बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स इस समझौते को मंजूरी देगा। जिसके बाद ही आर्थिक मदद का रास्ता पूरी तरह साफ हो पाएगा।
यह भी पढ़ें: टेंशन में इमरान, पाकिस्तान में गहराया रोटी का संकट, 47 रुपये किलो हुई आटे की कीमत