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Pakistan Crisis: श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह के बाद अब पाक के ग्वादर पर चीन की नजर, डेबिट ट्रैप में फंस गया है पाकिस्‍तान

पाकिस्तान का सदाबहार सहयोगी माना जाने वाला चीन अब ग्वादर में 500 से अधिक निगरानी कैमरे लगा रहा है जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजिंग की नजर में यह कभी भी व्यापार के लिए एक बंदरगाह नहीं था।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 22 Jun 2022 05:09 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jun 2022 05:09 PM (IST)
Pakistan Crisis: श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह के बाद अब पाक के ग्वादर पर चीन की नजर, डेबिट ट्रैप में फंस गया है पाकिस्‍तान
अब चीन की नजरें पाकिस्‍तान के ग्वादर (Gwadar city) पर टिक गई हैं।

इस्‍लामाबाद, एएनआइ। श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर परोक्ष रूप से कब्‍जा जमाने के बाद अब चीन की नजरें पाकिस्‍तान के ग्वादर (Gwadar city) पर टिक गई हैं। पाकिस्तान का सदाबहार सहयोगी माना जाने वाला चीन अब ग्वादर में 500 से अधिक निगरानी कैमरे लगा रहा है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजिंग की नजर में यह कभी भी व्यापार के लिए एक बंदरगाह नहीं था। यही वजह है कि इसे नेवल बेस की तरह बनाया गया है।

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इस बीच, बलूचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री ने हैरान करने वाला दावा किया है कि चीनी कंपनियों के लिए कई लोगों को ग्वादर से जबरन स्थानांतरित किया जा रहा है। थिंक टैंक WLVN एनलसिस की ओर से यह जानकारी साझा की गई है। चीनी कंपनियां चीन-पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से बड़े हिस्से का लाभ उठा रही हैं जिसका प्रतिकूल असर सीधे तौर पर पाकिस्तान के स्थानीय लोगों पर पड़ रहा है। इस्लाम खबर के अनुसार, पाकिस्तान भी चीन के कर्ज जाल में फंसता जा रहा है।

यह भी अनुमान है कि आने वाले तीन से पांच वर्षों में विश्‍व में संघर्ष का एक नया मोर्चा खुलेगा और दुनिया चीनी और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच एक नए टकराव को देखेगी। गौर करने वाली बात यह कि आत्मरक्षा के लिए हथियार ले जाने के अधिकार के साथ पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की बढ़ती मौजूदगी और चीनी सेना की उपस्थिति भी इसका एक उदाहरण है। पाकिस्तान को भविष्य में 250,000+ सशस्त्र चीनी नागरिकों से निपटना होगा जो बेहद मुश्किल भरा होने वाला है।

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि पाकिस्तान में आर्थिक संकट दो दर्जन से अधिक चीनी कंपनियों की ओर से 9 मई को बिजली संयंत्रों का परिचालन बंद करने की धमकी के बाद नजर आया। मौजूदा वक्‍त में शहबाज शरीफ की सरकार को पाकिस्तान में काम कर रही कई चीनी फर्मों को 300 अरब रुपये (1.59 अरब डालर) से अधिक का भुगतान करना पड़ रहा है। चीनी दबदबा ऐसे वक्‍त में बढ़ता नजर आ रहा है जब बलूच विद्रोही नियमित रूप से सीपीईसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को निशाना बना रहे हैं।  


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