आतंकियों की पौधशाला के रूप में चर्चित पाकिस्तान भारत को बदनाम करने की रच रहा साजिश
चौतरफा घिर चुका पाकिस्तान भारत को बदनाम करने और आतंकवाद को लेकर पड़ दबावों को कम करने के लिए साजिश रच रहा है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चौतरफा घिर चुका पाकिस्तान भारत को बदनाम करने और आतंकवाद को लेकर पड़ दबावों को कम करने के लिए साजिश रच रहा है। जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका, फ्रांस पर लाए गए प्रस्ताव पर वैश्विक समुदाय के तरफ से पाकिस्तान घिर चुका है।
वहीं खराब शाख के कारण पाकिस्तान की आर्थिक हालत बद से बदतर होती जा रही है। अब वह दिवालिया होने के कगार है। ऐसे में उसका प्रयास है कि भारत को दुनिया में बदनाम करने के लिए साजिश रचा जाए। इस लिए उसने दुनिया के सामने एक नया शगूफा रचा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने रविवार को आरोप लगाते हुए कहा कि भारत हम पर एक और हमला करने की तैयारी कर रहा है। प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद ने संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्यों को भारतीय आक्रामकता के बारे में अपनी चिंता से अवगत कराया है। महमूद ने कहा कि भारत ये हमला 16 से 20 अप्रैल के बीच कर सकता है।
महमूद ने कहा कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ एक नई कार्रवाई की साजिश रच रहा है। इमरान खान सरकार नहीं चाहती है कि भारत पाकिस्तान पर हमला करे। इतना ही नहीं, उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान के पास भारत की इस साजिश के खिलाफ पूरी जानकारी है।
पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में पाकिस्तानी आतंकियों के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए शाह महमूद ने सवाल किया कि 26 फरवरी को जब भारत ने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक की तो दुनिया चुप थी। जबकि वो सभी जानते थे कि भारत ने ऐसा करके अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के नियमों का उल्लंघन किया था। इस पर पूरी दुनिया आखिर क्यों चुप रही?
पुलवामा हमले के बाद से पाकिस्तान और भारत के रिश्तों में बिगड़े थे लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसे नजरअंदाज किया तो पूरे दक्षिण एशिया इससे प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि यह कश्मीर के लोगों का हक है कि वे अपनी आवाज उठाएं। विदेश मंत्री ने कहा कि हाल ही में भारत और पाकिस्तान के संबंधों ने कैसे खतरनाक मोड़ लिया।
मसूद अजहर के खिलाफ प्रतिबंध को लेकर चीन ने दिया सकारात्मक संदेश
चीन ने पिछले सोमवार को दावा किया है कि मसूद को UNSC में वैश्विक आतंकी घोषित करने की दिशा में सकारात्मक प्रगति हुई है। चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने इस मामले को सीधे सुरक्षा परिषद में ले जाकर गलत उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसी वजह से मसूद के खिलाफ UNSC में लाया गया प्रस्ताव विफल हो गया। दो सप्ताह पहले फ्रांस द्वारा अलकायदा प्रतिबंध समिति में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए प्रस्ताव लाया गया था।
चीन ने इस प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया था। इसके बाद 27 मार्च को अमेरिका ने मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करने के लिए 15 देशों के एक शक्तिशाली परिषद में प्रस्ताव पारित किया था। इसमें संबंधित राष्ट्रों में मसूद अजहर की यात्रा पर रोक, उन देशों में मौजूद मसूद अजहर या उसके संगठन की संपत्तियां जब्त करने, हथियार रखने पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव शामिल है। चीन ने अमेरिका के उन आरोपों का भी खंडन किया था, जिसमें कहा गया था कि बीजिंग की कार्रवाई हिंसक इस्लामी समूहों को प्रतिबंध से बचाने के लिए की गई थी।
चीन ने अंतिम बार 13 मार्च को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा अल कायदा प्रतिबंध समिति में मसूद के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर अडंगा लगा दिया था। इस संबंध में चीन ने कहा था कि उसे केस का अध्ययन करने के लिए और समय चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय ने समाचार एजेंसी से कहा कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद मसूद के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव को कुछ समय के लिए लंबित करने से संबंधित पक्षों को इस पर वार्ता करने के लिए उचित समय और स्थान भी मिलेगा।
एफएटीएफ की काली सूची में डाला जा सकता है पाकिस्तान
कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि भारत की पैरवी के चलते पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में डाल सकता है। पाकिस्तान को अगर ग्रे लिस्ट यानी निगरानी सूची में भी कायम रखा जाता है तो देश को सालाना दस अरब डॉलर (करीब 69 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है। पाकिस्तान अभी ग्रे लिस्ट में है।
कुरैशी ने कहा था कि अगर पाकिस्तान को एफएटीएफ द्वारा काली सूची में डाला जाता है तो इससे होने वाले सालाना नुकसान का विदेश विभाग आकलन कर रहा है। भारत इसके लिए लॉबिंग कर रहा है। सरकार का आकलन है कि अगर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में भी बरकरार रखा जाता तो सालाना दस अरब डॉलर का नुकसान होगा।
पाक की कार्रवाई पर खड़े किए थे सवाल
गत मार्च में पाकिस्तान का दौरा करने वाले एफएटीएफ के सदस्यों ने प्रतिबंधित आठ संगठनों के खिलाफ जमीनी कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े किए थे। सदस्यों ने कहा था कि प्रतिबंधित संगठनों की अब तक जांच तक नहीं की गई। वे अब भी धन एकत्र कर रहे हैं और रैलियां कर रहे हैं। एफएटीएफ ने गत जून में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इस सूची में उन देशों को रखा जाता है जिनके कानून को मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग से निपटने में कमजोर माना जाता है।