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पाक‍िस्‍तान ने दी सफाई, कहा- चीन को ग्वादर बंदरगाह के पास सैन्य बेस का नहीं दिया प्रस्ताव

पाकिस्तान के एनएसए मोइद यूसुफ ने कहा कि चीन को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ग्वादर बंदरगाह के पास सैन्य बेस बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश 60 अरब डालर (करीब 4536 अरब रुपये) वाली सीपीईसी परियोजना में निवेश कर सकता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 07:48 PM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 07:48 PM (IST)
पाक‍िस्‍तान ने दी सफाई, कहा- चीन को ग्वादर बंदरगाह के पास सैन्य बेस का नहीं दिया प्रस्ताव
पाक‍िस्‍तान और चीन के राष्‍ट्राध्‍यक्ष (फाइल फोटो)।

कराची, प्रेट्र। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोइद यूसुफ ने कहा कि चीन को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ग्वादर बंदरगाह के पास सैन्य बेस बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश 60 अरब डालर (करीब 4,536 अरब रुपये) वाली चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना में निवेश कर सकता है।

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एनएसए युसूफ ने दी सफाई, कहा- कोई भी देश कर सकता है सीपीईसी में निवेश

यूसुफ ने बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में कहा, 'पाकिस्तान में चीन के आर्थिक आधार हैं, जहां दुनिया का कोई भी देश निवेश कर सकता है.. अमेरिका, रूस और मिडिल ईस्ट के देशों को भी यही पेशकश की गई थी। पाकिस्तान सभी देशों के लिए खुला हुआ है।'

पश्चिमी धारणा से सहमत नहीं

क्या पाकिस्तान ने चीन के साथ घनिष्ठता बढ़ाने के लिए दुनिया भर के, खासकर शिनजियांग के मुसलमानों की आवाज उठाने के प्रयासों को दांव पर लगा दिया है? यूसुफ कहते हैं कि पाकिस्तान शिनजियांग में मुसलमानों के खिलाफ कथित अत्याचारों की पश्चिमी धारणा से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा, 'चीन के साथ हमारे भरोसेमंद संबंध हैं और हमारे राजदूत और अन्य प्रतिनिधिमंडल भी शिनजियांग प्रांत जा चुके हैं।'

उल्लेखनीय है कि चीन का ग्वादर बंदरगाह सीपीईसी का हिस्सा है। सीपीईसी कई अरब डालर की बेल्ट एंड रोड पहल की प्रमुख परियोजना है। भारत सीपीईसी को लेकर चीन के समक्ष विरोध दर्ज करा चुका है, क्योंकि यह गुलाम कश्मीर से होकर गुजरता है। पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि पाकिस्तान ग्वादर बंदरगाह के करीब एक गुप्त सैन्य ठिकाना बना रहा है, जिसका इस्तेमाल चीन कर सकता है।


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