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घुटनों के बल आया पाकिस्तान, कश्मीर पर ओआइसी और सऊदी अरब के रुख को सराहनीय बताया

पाकिस्तान ने गुरुवार रात कहा कश्मीर मसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआइसी) के रुख की वह सराहना करता है। ओआइसी प्रमुख के तौर पर सऊदी अरब की भूमिका प्रशंसनीय है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 12:25 AM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 01:05 AM (IST)
घुटनों के बल आया पाकिस्तान, कश्मीर पर ओआइसी और सऊदी अरब के रुख को सराहनीय बताया
घुटनों के बल आया पाकिस्तान, कश्मीर पर ओआइसी और सऊदी अरब के रुख को सराहनीय बताया

 इस्लामाबाद, प्रेट्र। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के खाली हाथ रियाद से लौटकर आने के बाद पाकिस्तान सऊदी अरब के सामने घुटनों पर आ गया है। कश्मीर मसले पर सऊदी अरब को मुस्लिम देशों का सम्मेलन बुलाने की धमकी दे रहे पाकिस्तान ने गुरुवार रात कहा, कश्मीर मसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआइसी) के रुख की वह सराहना करता है। ओआइसी प्रमुख के तौर पर सऊदी अरब की भूमिका प्रशंसनीय है।

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दुनिया के 57 मुस्लिम देशों की सदस्यता वाले ओआइसी की अगुआई सऊदी अरब करता है। संयुक्त राष्ट्र के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा संगठन है। पांच अगस्त, 2019 को जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया था, तब भारत के खिलाफ पेशबंदी के लिए पाकिस्तान ने यह मसला ओआइसी में उठाया था। लेकिन वहां उसे कोई तवज्जो नहीं मिली। उलटे कह दिया गया कि जम्मू-कश्मीर का मसला वह भारत के साथ बातचीत से निपटाए। 

बाजवा की वापसी के बाद पकिस्तान के सुर बदले

इससे बौखलाए पाकिस्तान ने कई बार ओआइसी की भूमिका पर सवाल उठाए। यहां तक कि जवाब में दूसरा संगठन खड़ा करने के चर्चा वास्ते प्रधानमंत्री इमरान खान मलेशिया भी जाने वाले थे लेकिन सऊदी अरब के आंखें दिखाने पर आखिरी वक्त उन्होंने अपना दौरा रद किया। हाल ही में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ओआइसी की भूमिका पर आपत्ति जताते हुए मुस्लिम देशों का अलग से सम्मेलन बुलाने की धमकी दी थी। लेकिन बाजवा की वापसी के बाद पकिस्तान के सुर बदल गए।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने कहा, पाकिस्तान और सऊदी अरब के संबंधों में बिल्कुल भी दरार नहीं आई है। दोनों देश मजबूत आर्थिक, राजनीतिक और रक्षा सहयोग कायम किए हुए हैं। सेना प्रमुख का सऊदी दौरा इस बात की ताकीद करता है।

सऊदी युवराज सलमान ने पाक सेना प्रमुख बाजवा को बिना मिले ही लौटाया

रियाद। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रिश्तों में आई तल्खी को दूर करने के प्रयास में सऊदी अरब आए पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को खासी फजीहत के बाद इस्लामाबाद लौटना पड़ा। बाजवा कश्मीर मसले पर पैदा तल्खी दूर करने गए थे लेकिन उन्हें सऊदी अरब के युवराज मुहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) ने मिलने का समय ही नहीं दिया।

बाजवा खुफिया एजेंसी आइएसआइ के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट फैज हमीद के साथ सोमवार को रियाद आए थे। इसके बाद उन्होंने युवराज से मिलने की लगातार कोशिश की थी। पाकिस्तान में सेना को सर्व शक्तिमान का दर्जा प्राप्त है। इसी हैसियत के चलते राजनीतिक नेतृत्व की बिगाड़ी बात को बनाने के लिए बाजवा सऊदी अरब आए थे। 

कश्मीर पर भारत को परेशान करने की कोशिश में खुद का दामन झुलसा बैठा पाकिस्तान

हुआ यूं कि कश्मीर मसले पर दुनिया का समर्थन जुटाने के जोश में प्रधानमंत्री इमरान खान पहले तो तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन के नजदीक पहुंच गए। वहां उन्होंने इस्लामी जगत का नेतृत्व करने की एर्दोगन की लालसा को बढ़ावा दिया। साथ ही इमरान ने ईरान से भी दोस्ती बढ़ाई और मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर मुहम्मद के भी खास बन गए। तुर्की, मलेशिया और ईरान ने एक समय कश्मीर पर तो पाकिस्तान का साथ दिया।

तुर्की कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के साथ बना रहा। लेकिन इस सबके बीच इमरान यह भूल गए कि ये तीनों ही देश सऊदी अरब के विरोधी हैं और इमरान अनजाने में सऊदी विरोधी मुहिम का हिस्सा बन गए। हर गाढ़े वक्त में पाकिस्तान के काम आने वाले सऊदी की नाराजगी तब और बढ़ गई जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर पर समर्थन हासिल करने के लिए मुस्लिम देशों का सम्मेलन बुलाने की धमकी दे डाली।

यह इस्लामी सहयोग संगठन (ओआइसी) का नेतृत्व करने वाले सऊदी अरब के लिए चुनौती थी। इसी के बाद मई में पाकिस्तान के लिए तेल आपूर्ति रोक चुके सऊदी अरब ने अपना बकाया तेल मूल्य चुकाने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा दिया। खस्ताहाल पाकिस्तान ने कुछ हफ्ते पहले ही चीन से एक अरब डॉलर का कर्ज लेकर सऊदी अरब के बकाया को कम करने की कोशिश की थी। लेकिन कुरैशी के बयान ने स्थिति बिगाड़ दी।  सऊदी अरब ने समझौते के अनुसार बकाए के एक अरब डॉलर की रकम और देने की मांग रख दी, तभी तेल आपूर्ति शुरू करने की शर्त रखी। 


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