पाक सेना ने विश्वविद्यालय के दो बलूच छात्रों का किया अपहरण, बलूचिस्तान की सियासत हुई गरम
पाक ने बलूच मानवाधिकार आयोग की वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा दिया है। वेबसाइट को खोलने पर मैसेज दिखता है सुरक्षित तरीके से सर्फिंग करें!
क्वेटा, एएनआइ। बलूचिस्तान प्रांत में पाकिस्तानी सेना द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक और मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय के दो छात्रों के अपहरण से एक बार फिर क्षेत्र की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। एक छात्र, जिसकी पहचान जहानजेब के तौर पर की गई है, वह लासबेला यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, वाटर एंड मरीन साइंसेज (एलयूएडब्ल्यूएमएस) का छात्र है। जबकि दूसरे का नाम नासिर पोल्लन है और वह बहाउद्दीन जकारिया विश्वविद्यालय का छात्र है। बता दें कि कुछ दिनों पूर्व पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आइएसआइ ने एक पत्रकार और बलूच नेता की हत्या कर दी थी।
पाक सेना सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं का कर रही दमन
स्थानीय मीडिया बलूचिस्तान अफेयर्स डॉट कॉम के मुताबिक, दोनों छात्रों का अपहरण बलूचिस्तान के केच जिले से किया गया। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के अभाव में पाकिस्तानी सेना सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं का दमन लंबे समय से कर रही है। इस साल मार्च की शुरुआत में संयुक्त मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में बोलते हुए बलूच नेता कंबर मलिक ने कहा था कि न्याय के लिए आवाज उठाने वाले उनके क्षेत्र के कई नेता पाकिस्तान की 'मारो और ठिकाने लगाओ' नीति का हिस्सा बन चुके हैं।
बलूचिस्तान एक समृद्ध क्षेत्र है, लेकिन यहां के लोगों को गरीब रखा जाता है
उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान एक समृद्ध क्षेत्र है, लेकिन पंजाब और फारसी राष्ट्रों के लाभ के लिए यहां के लोगों को गरीब रखा जाता है। अब बलूचिस्तान में चीन एक नई औपनिवेशिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। वन बेल्ट वन रोड के तहत वह बलूचिस्तान के संसाधनों पर नजरें गड़ाए है।
बलूच मानवाधिकार आयोग की वेबसाइट पर लगा प्रतिबंध
पाकिस्तान ने बलूचिस्तान मानवाधिकार आयोग की वेबसाइट पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। वेबसाइट को खोलने पर मैसेज दिखता है, 'सुरक्षित तरीके से सर्फिंग करें! आप जिस साइट को देखने की कोशिश कर रहे हैं, उसमें दर्ज सामग्री पाकिस्तान में देखना प्रतिबंधित है।' एक आधिकारिक बयान में आयोग ने पाकिस्तान के इस कदम पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि वह एक निष्पक्ष मानवाधिकार संगठन है और उसका बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ने वाली पार्टियों से कोई लेनादेना नहीं है।