आतंकवाद की परिभाषा तय करेगा पाकिस्तान, पाक सुप्रीम कोर्ट ने सात सदस्यीय पीठ गठित की
पाकिस्तान की संस्था पाक इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टीडीज के आंकड़ों के अनुसार 2018 में देश (पाकिस्तान में) में हुए 262 आतंकी हमलों में सुरक्षा बल के जवानों समेत 595 लोग मारे गए
इस्लामाबाद, प्रेट्र। दुनिया भर में हो रही फजीहत के बीच पाकिस्तान अब अपने देश में आतंकवाद को परिभाषित करने की कवायद में जुट गया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने आतंकवाद की परिभाषा तय करने के लिए सात सदस्यीय पीठ गठित की है।
पाकिस्तान में कई आतंकी संगठन समाजसेवा की आड़ लेकर चंदा इकट्ठा करते हैं और गतिविधियां चलाते हैं। साथ ही वे आतंकी रंगरूट भर्ती करने के लिए भी अपने कथित समाजसेवी तंत्र का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन पुलवामा में जैश-ए-मुहम्मद के हमले के बाद पैदा स्थिति से पाकिस्तान का स्तब्ध रह गया है। जम्मू-कश्मीर में हुए इस आतंकी हमले के बाद कोई एक देश ने पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं हुआ। यहां तक कि चीन और सऊदी अरब जैसे पाकिस्तान के हमेशा के दोस्त भी इस दौरान बीचबचाव की भूमिका में ही दिखे। जबकि भारत के साथ पूरी दुनिया थी। इसके चलते पाकिस्तान का नेतृत्व अब आत्म अवलोकन को विवश हुआ है।
पाकिस्तान की संस्था पाक इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टीडीज के आंकड़ों के अनुसार 2018 में देश (पाकिस्तान में) में हुए 262 आतंकी हमलों में सुरक्षा बल के जवानों समेत 595 लोग मारे गए जबकि 1,030 घायल हुए। मुख्य न्यायाधीश खोसा ने कहा, पाकिस्तानी मीडिया सन 1997 से घटनाओं की रिपोर्टिग करते हुए मृतकों और घायलों की संख्या बताता है लेकिन यह नहीं बताता कि यह आतंकी वारदात थी या आपराधिक। इसलिए मुख्य न्यायाधीश ने खुद की अध्यक्षता में सात सदस्यीय वृहत पीठ गठित कर आतंकवाद की परिभाषा तय करने का फैसला किया है। आतंकवाद की परिभाषा तय करने का मामला सिब्तैन बनाम सरकार, मामले से चर्चा में आया। पुलिस ने सिब्तैन को आतंकी वारदातों को अंजाम देने का मामला दर्ज किया लेकिन उसके वकील ने कहा, घटनाओं का आतंक से कोई लेना-देना नहीं था।