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पाकिस्तान पर चीन की मेहरबानियाें की बड़ी वजहें, नए समीकरण से चिंतित भारत

इमरान की इस चीनी यात्रा पर भारत की पैनी नजर है। यहां सवाल यह है कि कंगाल हो चुके पाक में आखिर चीन की इतना दिलचस्‍पी क्‍याें है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 02:58 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 09:57 AM (IST)
पाकिस्तान पर चीन की मेहरबानियाें की बड़ी वजहें, नए समीकरण से चिंतित भारत
पाकिस्तान पर चीन की मेहरबानियाें की बड़ी वजहें, नए समीकरण से चिंतित भारत

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तीन नवंबर से चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। इमरान ने पाक के आर्थिक हालत को सुधारने के लिए पहले सऊदी अरब की यात्रा की और अब चीन जा रहे हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी दूसरी विदेश यात्रा है। इमरान की इस चीनी यात्रा पर भारत की पैनी नजर है। यहां सवाल यह है कि कंगाल हो चुके पाक में आखिर चीन की इतनी दिलचस्पी क्याें है। आइए, जानते हैं कि चीन की पाकिस्तान में दिलचस्पी की बड़ी वजहें और भारत की चिंताएं।

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हथियारों का बाजार बना पाक
शीत युद्ध की समाप्ति के बाद दुनिया में शक्ति संतुलन के स्वरूप में तेजी से बदलाव हुआ है। बदले परिवेश में अमेरिका की दिलचस्पी अब पाकिस्तान में नहीं है। यही वजह है‍ कि अमेरीका ने पाकिस्तान पर डबल गेम खेलने का आरोप लगाते हुए करीब 16 सौ करोड़ रुपए से ज़्यादा की मदद पर रोक लगा दी थी। ऐसे में पाकिस्तान का झुकाव चीन की और हुआ है। दोनों देशों के बीच निकटता बढ़ी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज पाकिस्तान की सैन्य निर्भरता चीन के साथ बढ़ी है। 2008 से 2013 के बीच आधे से अधिक चीनी हथियारों का खरीददार पाकिस्तान ही था। दक्षिण एशिया में चीनी दिलचस्पी ने इस दोस्ती को खतरनाक बनाया है। आर्थिक मदद के बहाने चीन यहां अपने नए सामरिक ठिकानों की भी तलाश कर रहा है। इससे भारत की सामरिक रक्षा को एक नई चुनौती पेश की है।

अधिक ब्याज दर पर कर्ज देता है चीन
चीन और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक सहयोग इस समय 12 अरब डॉलर है, जो चीन के अन्य देशों के साथ व्यापार संबंध की तुलना में कम है। चीन ने पाकिस्तान में आर्थिक ज़ोन, औद्योगिक पार्क, बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परियोजनाओं का विकास कर रहा है। इसके अलावा वह चीन को आर्थिक मदद भी मुहैया करा रहा है। चीन मदद के नाम पर पाकिस्तान को लगातार कर्ज दे रहा है। पाकिस्तान को ये कर्ज 18 फ़ीसद की दर से दिया गया है। यहां खास बात यह है कि ये ब्याज दर वर्ल्ड बैंक और एशियाई डेवलपमेंट बैंक से मिलने वाले कर्ज़ की दर से कहीं ऊंची है। लेकिन पाकिस्तान के लिए अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग का द्वार बंद होने से उसका झुकाव चीन की ओर बढ़ा है।

क्रेडिट आउटलुक रेटिंग घटा

पाकिस्तान की खराब अर्थव्यवस्था को देखते हुए मूडीज ने उसकी क्रेडिट आउटलुक रेटिंग घटा कर नेगेटिव कर दी है। जहां तक पाक के नए पीएम इमरान खान की बात है तो उन्‍होंने देश को आर्थिक बदहाली से उबारने के लिए आईएमएफ से बेलआउट पैकेज की मांग रखी थी, लेकिन इस पर अमेरिका ने नाराजगी जाहिर कर दी थी। यहां पर आपको ये भी बता दें कि पाकिस्‍तान पहले भी 12 बार बेलआउट पैकेज ले चुका है।

खतरनाक मोड़ पर पहुंची चीन की निर्भरता

यह आंशका जाहिर की जा रही है कि पाकिस्‍तान की चीन पर निर्भरता भारत के लिए खतरनाक है। चीन जिस तरह से पाक में कर्ज का चक्रव्यूह तैयार कर रहा है। उससे प‍ाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ बढ़ सकता है। यह तय है कि यदि पाकिस्तान अत्यधिक कर्ज लेता है, जिसे वह लौटाने की स्थिति में नहीं है तो फ‍िर चीन का दखल यहां बढ़ेगा। चीन प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष पाकिस्‍तान के नीति तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है। यह हालात पाकिस्‍तान के साथ-साथ भारत के लिए भी मुश्किल खड़े कर सकता है।

पाकिस्तान-चीन आर्थिक कॉरीडोर भारत व अफगानिस्तान

पाकिस्तान-चीन आर्थिक कॉरीडोर चीन के उत्तर पश्चिमी शहर काशगर को पाकिस्तान के दक्षिणी हिस्से से मिलाता है, जिसके ज़रिए चीन का संपर्क गिलगित-बलतिस्तान से होकर बलूचिस्तान में गवादर के गहरे पानी के बंदरगाह के जरिए अरब सागर तक हो सकता है। चीन के इस कदम से भारत और अफगानिस्‍तान के हित में नहीं है। इसके जरिए चीन का दखल अरब सागर में भी बढ़ेगा।

पाक में विदेशी मुद्रा भंडार की किल्लत

मई 2018 में पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार के भारी कमी आई। पाकिस्तान की मौजूदा हालात यह है कि उसके पास क़रीब ढाई महीने के आयात बिल भरने की हैसियत रह गई है। अगर विदेशी मुद्रा में गिरावट यूं ही जारी रही तो स्थिति और भी बदतर हो जाएगी। ऐसे में पाकिस्तान की नजर सऊदी अरब और चीन पर ही टिकी है। कुछ दिन पूर्व इमरान की सऊदी यात्रा को इसी कड़ी के रूप में देखा गया था। हालांकि, मौजूदा अंतरराष्‍ट्रीय हालात हैं उसमें चीन उसका बड़ा सहयोगी हो सकता है। 2013 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को 'बेल आउट' पैकेज देकर उबारा था, उस वक्‍त पाकिस्तान और अमरीका के मधुर संबंध थे। लेकिन आज अमेरिका ने अपने हाथ खींच लिए है। ऐसे में पाकिस्‍तान का चीन की ओर झुकाव स्‍वाभाविक था।


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