दोहा शांति समझौते का पाक ने किया स्वागत, इमरान ने अलगाववादी गुटों को दी नसीहत
शांति प्रक्रिया के लिए आगे की चुनौतियाें के बारे में चेतावनी देते हुए इमरान ने कहा कि अब सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह शांति समझौते पर कायम रहे।
इस्लामाबाद, एजेंसी। अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का पाकिस्तान ने स्वागत किया है। पाक सरकार ने आशा व्यक्त की है कि अफगान में सक्रिय गुट इस अवसर का लाभ उठाने के लिए आगे आएंगे।
कुरैशी ने कहा- अमेरिका और तालिबान द्वारा उठाया गया यह कदम एेतिहासिक
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्री कुरैशी ने अफगान शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद कहा कि अफगानिस्तान में शांति और सुलह के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में अमेरिका और तालिबान द्वारा उठाया गया यह कदम ऐतिहासिक और अहम होगा। बता दें कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका-तालिबान शांति समझौते में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद उनका यह बयान सामने आया है।
इमरान ने ट्वीट कर कहा कि शांति के लिए यह एकमात्र राजनीतिक समाधान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार की रात ट्वीट कर कहा कि हम अमेरिका और तालिबान के बीच हुए दोहा समझौते का स्वागत करते हैं। यह अफगान लोगों की दशकों से चले आ रहे गृहयुद्ध को समाप्त करने में सहयाक होगा। इससे अफगानिस्तान में शांति और सुलह की प्रक्रिया शुरू होगी। अफगान में शांति के लिए यह एकमात्र राजनीतिक समाधान था।
इमरान ने अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है। अफगान में शांति के लिए वह अपनी सकारात्मक भूमिका निभाता रहेगा। शांति प्रक्रिया के लिए आगे की चुनौतियाें के बारे में चेतावनी देते हुए इमरान ने कहा कि अब सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह शांति समझौते पर कायम रहे। उन्होंने कहा कि चार दशक के खून खराबे वाले अफगान नागरिकों के लिए यह एक बेहतरीन मौका है। उन्होंने अफगान में शांति के लिए प्रार्थना की।
तालिबान अपने क्षेत्र में अलकायदा को काम करने की अनुमति नहीं देगा
बता दें कि इस समझौते में अमेरिकी सैनिकों की वापसी की बात कही गई है। साढ़े चार महीने में अमेरिका अपने पांच हजार सैनिकों को वापस बुलाएगा। 14 महीने के भीतर अफगानिस्तान में तैनात सैनिकों की वापसी होगी।दोहा में हस्ताक्षरित समझौते के तहत तालिबान अपने नियंत्रित क्षेत्र में आतंकवादी अलकायदा या किसी भी अन्य चरमपंथी संगठनों को उन क्षेत्रों में काम करने की अनुमति नहीं देगा। अफगानिस्तान स्थित अल-कायदा समूह ने सितंबर 2001 के हमलों के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया था। संघर्ष के दौरान 2,400 से अधिक अमेरिकी सैनिक मारे गए। देश में लगभग 12,000 लोग अभी भी तैनात हैं।