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शहीद भगत सिंह के नाम पर हो लाहौर के इस चौक का नाम, यहीं दी गई थी फांसी

पाकिस्तान हाइकोर्ट की ओर से लाहौर सरकार को शादमान सर्किल का नाम बदलकर शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने के लिए कहा गया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 01:32 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 02:41 PM (IST)
शहीद भगत सिंह के नाम पर हो लाहौर के इस चौक का नाम, यहीं दी गई थी फांसी
शहीद भगत सिंह के नाम पर हो लाहौर के इस चौक का नाम, यहीं दी गई थी फांसी

लाहौर (प्रेट्र)। 87 साल पहले लाहौर जेल में स्‍वतंत्रता संग्राम के वीर सपूत भगत सिंह को ब्रिटिश शासकों द्वारा फांसी दी गई थी वहां अब शादनाम चौक है जिसके लिए लाहौर कोर्ट ने नाम बदलने का आदेश दिया है। 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में ब्रिटिश शासकों द्वारा भगत सिंह के साथ दो कॉमरेड राजगुरु और सुखदेव को भी फांसी की सजा दी गई थी। वर्तमान में शादमान चौराहा उसी स्थान पर है।

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भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के चेयरमैन इम्‍तियाज राशिद कुरैशी की याचिका पर लाहौर हाईकोर्ट के जस्‍टिस जमील खान ने लाहौर डिप्‍टी कमिश्‍नर को शादनाम चौक के नाम को बदले जाने के लंबित मामले पर कार्रवाई का आदेश दिया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट कहा कि भगत सिंह ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी है। वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। इसलिए इस स्थान का नाम बदला जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता का कहना है कि भगत सिंह स्‍वतंत्रता सेनानी थे और आजादी के लिए अपने साथियों के साथ जिंदगी कुर्बान कर दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के संस्थापक कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने भी भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी थी औऱ कहा था कि जीवन में उन्होंने भगत सिंह जैसा साहसी शख्‍स नहीं देखा। वहीं पाकिस्तान की जनता भी कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रही है। उनका कहना है कि भगत सिंह व उनके दोस्तों की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उनकी कुर्बानी की वजह से ही हमें आजादी मिली है। उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। इसलिए चौराहे का नाम बदलना चाहिए।

कुरैशी ने आगे कहा, ‘अधिकारियों से हमारा यह भी आग्रह है कि उस स्‍थान पर भगत सिंह की प्रतिमा भी लगाई जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि कोर्ट ने हमारी उम्मीद के अनुसार ही फैसला दिया है कोर्ट के फैसले का सम्मान करते है।’ उन्‍होंने आगे कहा कि भारत में अनेकों सड़कें हैं जो शाहजहां, बहादुर शाह और अकबर जैसे मुस्‍लिम शासकों के नाम पर है। साथ ही भारत सरकार ने अलीगढ़ मुस्‍लिम यूनिवर्सिटी के फाउंडर सर सैयद अहमद खान के इमेज के साथ टिकट जारी की और उनकी प्रतिमा भी लगाई गई। उन्‍होंने आगे बताया कि मामले में डिप्‍टी कमिश्‍नर को कोर्ट की ओर से कोई डेडलाइन नहीं दी गई है, उनपर दबाव डाला जाएगा कि एक माह के भीतर वे मामले पर निर्णय लें।

फाउंडेशन की ओर से यह भी मांग की गई थी कि भगत सिंह को पाकिस्‍तान की ओर से निशान-ए-हैदर का सम्‍मान भी मिलना चाहिए। बता दें कि शादनाम चौक के नाम को बदलने वाले इस आदेश का हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दवा की ओर से विरोध किया जा रहा है।


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