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FATF के फैसले के बाद विपक्ष के निशाने पर इमरान, सरकार के खिलाफ फिर क्‍वेटा में बोलेंगे हल्‍ला-बोल

एफएटीएफ (Financial Action Task Force FATF) की निगरानी सूची से मुल्‍क को नहीं निकाल पाने के मसले पर इमरान खान विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं। पाकिस्‍तान पीपुल्‍स पार्टी (Pakistan Peoples Party PPP) ने इसे सरकार की असफलता करार दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 05:37 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 05:37 PM (IST)
FATF के फैसले के बाद विपक्ष के निशाने पर इमरान, सरकार के खिलाफ फिर क्‍वेटा में बोलेंगे हल्‍ला-बोल
एफएटीएफ के फैसले पर इमरान खान विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं।

इस्‍लामाबाद, एएनआइ/पीटीआइ। एफएटीएफ (Financial Action Task Force, FATF) की निगरानी सूची से मुल्‍क को नहीं निकाल पाने के मसले पर इमरान खान विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए हैं। पाकिस्‍तान पीपुल्‍स पार्टी (Pakistan Peoples Party, PPP) ने इसे सरकार की असफलता करार दिया है। पीपीपी संसदीय दल की नेता शेरी रहमान ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्‍होंने समय पर अपना होमवर्क नहीं किया। उन्‍होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एफएटीएफ के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि सरकार ने कानून का मसौदा ठीक ढंग से नहीं बनाया...

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विपक्ष की नेता ने आगे कहा कि सरकार ने सही समय में सब कुछ क्यों नहीं देखा। सरकार लगातार विपक्ष विरोधी कहानी गढ़ने में व्‍यस्‍त है। विपक्ष को कोसते रहना ही सरकार का एकमात्र काम रह गया है। उन्‍होंने यह भी कहा कि बचाव का मसौदा तैयार करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। यदि सरकार इस पर गंभीरता से काम करती तो इसे व्‍यवस्‍थ‍ित तरीके से अंजाम दिया जा सकता था। इससे पहले शनिवार को एफएटीएफ के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पाक के उद्योग एवं उत्‍पादन मंत्री हम्‍माद अजहर कहा था कि FATF का फैसला सरकार की बड़ी डिप्‍लोमेटिक जीत है।

इस बीच, समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, पाक के मुख्य विपक्षी दलों के महागठबंधन ने पीएम इमरान खान को अपदस्थ करने के अभियान को लेकर कमर कस ली है। महागठबंधन ने क्वेटा में सरकार विरोधी रैली की दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया है। असल में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण ने अलर्ट जारी करते हुए चेतावनी दी है कि क्वेटा और पेशावर में विपक्ष की रैलियों को आतंकी निशाना बना सकते हैं। बलूचिस्तान सरकार ने कहा है कि खतरे के आतंकी हमले के खतरे को देखते हुए विपक्षी दलों को रैली स्थगति कर देनी चाहिए।

वहीं पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के नेताओं ने सरकार की इस गुजारिश को खारिज कर दिया है। पीडीएम अध्यक्ष और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि यदि प्रांतीय सरकार कानून व्यवस्था संभालने में नाकाबिल है तो वह बोरिया बिस्तर समेट सकती है। वहीं पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने चेतावनी दी है कि यदि विपक्ष के नेताओं को कुछ भी होता है तो प्रांतीय सरकार ही उसके लिए जिम्मेदार होगी।

उल्‍लेखनीय है कि विपक्षी महा गठबगंधन इस महीने गुजरांवाला और कराची में अपनी ताकत का सफल प्रदर्शन कर चुका है। विपक्षी गठबंधन का आरोप है कि इमरान खान ने दो साल पहले चुनाव में गड़बड़ी कर सत्‍ता हासिल की थी। ग्यारह दलों ने बीते 20 सितंबर को पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट नाम से यह गठबंधन बनाया था। गठबंधन में शामिल दल बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में इस महीने तीसरी बार रैली करने जा रहे हैं।  


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