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अब शिमला समझौता खत्म करने की धमकी देकर भारत को डराना चाह रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान अब यूएन की मीटिंग में शिमला समझौता खत्म करने की धमकी दे सकता है जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस मुद्दे की ओर जाएं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 04:44 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 10:18 AM (IST)
अब शिमला समझौता खत्म करने की धमकी देकर भारत को डराना चाह रहा पाकिस्तान
अब शिमला समझौता खत्म करने की धमकी देकर भारत को डराना चाह रहा पाकिस्तान

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल] जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने से बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है, उसकी बौखलाहट अब तक कम नहीं हुई है। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने वहां कर्फ्यू लगा रखा है। अब पाकिस्तान को वहां लगे कर्फ्यू से भी समस्या है।

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वो भारत पर जम्मू कश्मीर से कर्फ्यू हटाने के लिए तमाम जगहों पर अपील कर चुका है मगर कहीं से भी उसको किसी तरह की खास मदद नहीं मिली। अमेरिका सहित अन्य देश इसे दो देशों के बीच का मामला बताकर किनारे हो चुके हैं। पाकिस्तान अपने किसी मकसद में कामयाब नहीं हो पाया। अब वो एक तीर शिमला समझौता खत्म करने की बात कहकर चलाना चाह रहा है। जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस ओर जाए और वो लोग इसमें हिस्सा ले सकें। इसकी सुगबुगाहट उठ रही है।

तमाम जगहों से मिली निराशा 
पाकिस्तान कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की बात को UNHRC, OIC और अन्य जगहों पर उठा चुका है मगर वहां से उसे सकारात्मक जवाब नहीं मिला। कुछ दिन पहले UNHRC में तो पाकिस्तान को इस मामले में खरी खोटी सुननी पड़ी। अब इमरान खान ने पाकिस्तान के लोगों को जोड़ने के लिए हर जुम्मे को एक साथ मिलकर प्रदर्शन करने की अपील की है। इसी सिलसिले में उन्होंने मुजफ्फराबाद में खुद सभा की और नवजवानों को किसी भी स्थिति में तैयार रहने के लिए कहा है।

क्या है शिमला समझौता 
1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद भारत के शिमला में एक संधि पर हस्ताक्षर हुए। इसे ही शिमला समझौता कहते हैं। इस समझौते पर साइन करने के लिए भारत की तरफ से इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की तरफ से ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो शामिल थे। यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच दिसम्बर 1971 में हुई लड़ाई के बाद किया गया था। इसमें पाकिस्तान के 93 हजार से अधिक सैनिकों ने अपने लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी के नेतृत्व में भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान को बंगलादेश के रूप में पाकिस्तानी शासन से मुक्ति मिल गई थी।

यह समझौता करने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो अपनी पुत्री बेनज़ीर भुट्टो के साथ 28 जून 1972 को शिमला आए थे। ये वही भुट्टो थे, जिन्होंने घास की रोटी खाकर भी भारत से हजार साल तक जंग करने की कसम खायी थीं। उस समझौते के बाद पाकिस्तान ने एक थोथा-सा आश्वासन भारत को दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर सहित जितने भी विवाद हैं, उनका समाधान आपसी बातचीत से ही किया जाएगा और उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर नहीं उठाया जाएगा। लेकिन इस आश्वासन का भी पाकिस्तान ने सैकड़ों बार उल्लंघन किया है और कश्मीर विवाद को पूरी निर्लज्जता के साथ अनेक बार अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाया है।

शिमला समझौते का क्या होगा? 
अब पाकिस्तान में इस बयान की काफी चर्चा है कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान शिमला समझौते को खत्म करने की घोषणा कर सकता है, ऐसी घोषणा करने के बाद वो युद्ध करने की स्थिति में आ जाएगा। यदि इस समझौते के बाद भी वो युद्ध करता है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर एक दबाव और बढ़ेगा।

एक बात ये भी है कि यदि अभी जम्मू से कर्फ्यू हटाया गया तो पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ बढ़ेगी और वहां का माहौल खराब करने की कोशिश की जाएगी। पाकिस्तान यूएन में इसका लाभ लेगा। दोनों देशों को ये भी पता है कि शिमला समझौते के तहत द्विपक्षीय बातचीत से आज तक किसी बात का हल नहीं निकला है। ऐसा माना जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान जो बड़ा एलान कर सकता है वो ये कि अब शिमला समझौते को खत्म मान लिया जाए।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए कर रहे तैयारी 
कुछ माह के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक होनी है। तमाम देशों के साथ पाक पीएम इमरान खान को भी वहां बुलाया गया है वो भी वहां पर भाषण देंगे और इस मुद्दे को भी उठाएंगे। माना ये भी जा रहा है कि ये सब विरोध प्रदर्शन उससे पहले एक माहौल बनाने के लिए किया जा रहा है।

हो सकता है कि वो कोई बहुत बड़ा एलान करें, लोगों को भी उम्मीद है कि वो ऐसा करेंगे और कुछ ऐसे कदम उठाएंगे जिससे भारत के लिए मुश्किलें खड़ी हों। अभी तक जो देखा जा रहा है कि वो ये है कि कूटनीतिक फ्रंट पर जंग चल रही है। इस बारे में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने शुक्रवार को संसद में बयान भी दिया, कहा कि अब भारत बैकफ़ुट पर है जबकि ऐसा कहीं कुछ भी नहीं है। पाकिस्तान अपने देश की जनता की संवेदनाओं के लिए ऐसे बयानबाजी करता रहता है।

पाक की कूटनीति 
पाक की कूटनीति ये है कि यदि यूएन में वो इस समझौते को खत्म करने की घोषणा करता है तो शायद अंतरराष्ट्रीय समुदाय का इस मुद्दे की ओर ध्यान जाए क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माना यही जाता है कि शिमला समझौते की वजह से ही दोनों देश अब तक एक दूसरे से युद्ध नहीं कर रहे हैं, जब समझौता ही खत्म हो जाएगा तो उसके बाद युद्ध नहीं हुआ। वैसे भी 1972 में हुए इस समझौते के बाद से अब तक दोनों देशों के बीच युद्ध नहीं हुआ है। सीमा पर गोलीबारी की घटनाएं होती रहती हैं मगर खुलकर युद्ध नहीं हुआ है।

बड़बोले इमरान 
दरअसल अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान में उनकी थू-थू हो रही है। वहां के तमाम नेताओं और जनता का कहना है कि इमरान कुछ नहीं कर पा रहे है। इस वजह से अब इमरान खान काफ़ी बड़ा शो करने की कोशिश कर रहे हैं और ये दिखाना चाह रहे हैं कि पाकिस्तान कश्मीर के लोगों के साथ खड़ा है। इसलिए कूटनीतिक मंच पर वो इस तरह का दांव चल सकते हैं। उधर उनकी कोशिश है कि हर शुक्रवार को जो विरोध प्रदर्शन हो रहा है वो भी चलता रहे। इस बयान को कुछ लोग इस तरह से भी ले सकते हैं कि इमरान खान का इशारा घाटी में प्राक्सी वार की ओर है और जब पाकिस्तान की सरकार चाहेगी तो वो पत्ता भी खेल सकती है।

इमरान ने नौजवानों से कहा कि वो बताएंगे कब नियंत्रण रेखा के पास जाना है 
शुक्रवार को जुम्मे के दिन इमरान खान ने सभा की, वहां पर आए लोगों से इमरान ने पूछा कि क्या आप नियंत्रण रेखा के पास जाना चाहते हैं, तो लोगों ने इसका सकारात्मक जवाब दिया, इससे इमरान कुछ खुश नजर आए, फिर उन्होंने कहा कि वो खुद बताएंगे कि किस वक्त युवाओं को नियंत्रण रेखा पास जाना है।  

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