बलूचिस्तान में महिलाओं और बच्चों के लापता होने की जांच कर रहे नार्वेजियन को बेरहमी से किया गया प्रताड़ित
बलूचिस्तान में महिलाओं और बच्चों का उत्पीड़न हत्या जबरन गायब करना और यातनाएं एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। आज हजारों बलूच लोग जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं वे पाकिस्तानी सेना द्वारा जबरन गायब किए जाने के शिकार हो चुके हैं।
इस्लामाबाद, एएनआइ। बलूचिस्तान लंबे वक्त से बड़ी मुश्किल का सामना कर रहा है, जहां पर प्रतिदिन महिलाओं और बच्चों के जबरन गायब होने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में एक नार्वे के नागरिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता एहसान अर्जेमंडी, जो बलूच लोगों के गायब होने की एक बड़ी संख्या की जांच के लिए पाकिस्तान गए हुए थे, वहां पर उनके साथ भी बुरा व्यवहार किया गया। अर्जेमंडी को असंवैधानिक ढंग से हिरासत में लिया गया और उन्हें क्रूरता से बुरी तरह प्रताड़ित किया गया।
मानवाधिकार कार्यकर्ता एहसान अर्जेमंडी ने कहा
विदेशी मीडिया के अनुसार, मानवाधिकार कार्यकर्ता एहसान अर्जेमंडी ने अपने साथ हुए दुव्यर्वहार की आपबीती सुनाते हुए कहा कि जब वह 31 जुलाई, 2009 को बलूचिस्तान पहुंचे तो उनकी आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिस वजह से वह अपनी जांच पूरी नहीं कर सके। उन्होंने आगे कहा कि 6 अगस्त को वह मांड से कराची जाने वाली बस में सवार हुए थे और 7 अगस्त की सुबह बलूचिस्तान और सिंध के बीच पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने बस से नीचे गिरा दिया।
5 महीने से ज्यादा वक्त तक किया गया प्रताड़ित
एहसान अर्जेमंडी ने कहा, 'मुझे 5 महीने से अधिक समय तक प्रताड़ित किया गया। मुझे पीटा गया और उल्टा लटका दिया गया और साथ ही उन्होंने मेरा सिर पानी की बाल्टी में डाल दिया।' मीडिया पोर्टल के अनुसार, उन्होंने आगे बताया, 'मुझे आराम, नींद, पानी से वंचित कर दिया गया, उन्होंने मेरे पैर के नाखून खींच लिए, उन्होंने मुझ पर मिर्च पाउडर, साथ ही पेट्रोल डाल दिया। मुझे हर समय अलग-थलग रखा गया।'
यही नहीं उन्होंने एक चौकाने वाली बात भी समाने रखी, जिसे सुन कर सभी के होश उड़ गए, अर्जेमंडी कहा, 'उन्होंने मुझे 12 साल तक रखा। मुझ पर कभी भी आरोप नहीं लगाया गया। मुझे कभी किसी अदालत में पेश नहीं किया गया। 24-25 अगस्त, 2021 को उन्होंने मुझे रिहा कर दिया और उन्होंने मुझे एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया, जहां यह लिखा गया था कि मैं कभी भी इस बारे में बात नहीं करूंगा कि मैं किस दौर से गुजरा हूं।' उन्होंने आगे कहा कि रिहा होने के बाद वह पाकिस्तान नहीं छोड़ सकते क्योंकि उन्होंने अपना वीजा खत्म कर लिया था।
बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के मानवाधिकार सचिव नजीर नूर बलूच ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (UNHCR), ह्यूमन राइट्स वाच (HRW) और पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) सहित मानवाधिकार संगठनों को पत्र लिखा। उन्होंने अपने पत्र में कहा, 'पिछले दो दशकों से, बलूचिस्तान सबसे खराब मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना कर रहा है। सामूहिक सजा के परिणामस्वरूप, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा बलूच जनता को दैनिक आधार पर पीड़ित किया जा रहा है।' उन्होंने आगे कहा कि इन अत्याचारों और मानवाधिकारों के हनन को उजागर करने के लिए, राजनीतिक दलों और बलूचिस्तान के मानवाधिकार संगठनों ने एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वाच जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को स्थितियों को समझाने के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
आपको बता दें कि आज हजारों बलूच लोग हैं, जो महिलाओं और बच्चों सहित बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा जबरन गायब किए जाने के शिकार हुए हैं। पाकिस्तान सुरक्षा बलों द्वारा महिलाओं और बच्चों का उत्पीड़न, हत्या, जबरन गायब करना और यातनाएं बढ़ती ही जा रही है, जिसके खिलाफ बलूच लोगों और शिक्षित महिलाएं भी आत्मघाती बम विस्फोट सहित एक अनोखे रूप का इसके खिलाफ विरोध कर रही हैं।