पाकिस्तान में मंदिर निर्माण को लेकर कोई शरिया या संवैधानिक प्रतिबंध नहीं होने किया दावा
इस्लामी विचारधारा परिषद ने सरकार को सैदपुर गांव में स्थित एक प्राचीन मंदिर और उससे सटी धर्मशाला को इस्लामाबाद के हिंदू समुदाय को सौंपने की अनुमति दे दी। परिषद ने कहा इस्लामाबाद के सैदपुर गांव स्थित एक प्राचीन मंदिर और उससे सटी धर्मशाला को हिंदू समुदाय के लिए खोला जाए।
By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 06:15 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 06:15 AM (IST)
इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान के सर्वोच्च धार्मिक संगठन ने कहा कि इस्लामाबाद या पूरे देश के किसी भी हिस्से में हिंदू मंदिर के निर्माण पर कोई संवैधानिक अथवा शरिया प्रतिबंध नहीं हैं। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामी विचारधारा परिषद (सीआइआइ) ने बुधवार को एक बैठक की और संविधान और 1950 में हुए लियाकत-नेहरू समझौते के आधार पर यह घोषणा की।
देश के सर्वोच्च धार्मिक संगठन इस्लामी विचारधारा परिषद ने की घोषणा
परिषद ने सरकार को सैदपुर गांव में स्थित एक प्राचीन मंदिर और उससे सटी धर्मशाला को भी इस्लामाबाद के हिंदू समुदाय को सौंपने की अनुमति दे दी। परिषद ने कहा, इस्लामाबाद में वर्तमान आबादी के मद्देनजर सैदपुर गांव में स्थित एक प्राचीन मंदिर और उससे सटी धर्मशाला को हिंदू समुदाय के लिए खोला जाए और उनके लिए वहां पहुंचने की सुविधा उपलब्ध कराई जाए ताकि वे अपने धार्मिक अनुष्ठान कर सकें। इस निर्णय पर सीआइआइ के 14 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।
मंदिर और उससे सटी धर्मशाला हिंदू समुदाय को सौंपने की दी अनुमति
कहा गया कि देश के अन्य धार्मिक समूहों की तरह ही हिंदुओं को भी अपने धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करने के लिए एक स्थान का संवैधानिक अधिकार है। इससे पहले धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने शवदाह गृह और मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री द्वारा 10 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने के संबंध में भी परिषद का सुझाव मांगा था। इसको लेकर पाकिस्तान के कई मौलवियों ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि मंदिर के लिए सरकारी सहायता गैर इस्लामिक है। परिषद ने भी कहा कि वह मंदिर निर्माण के लिए सरकारी धन का समर्थन नहीं करता, क्योंकि ऐसा कोई चलन नहीं है कि सरकार धार्मिक पूजा स्थलों के लिए आर्थिक मदद दे।
करतारपुर कॉरिडोर की पहली वर्षगांठ मनाएगा सिख समुदाय
पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) नौ नवंबर को ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर खोलने की पहली वर्षगांठ मनाएगी। कमेटी के अध्यक्ष सतवंत सिंह ने यह जानकारी गुरुवार को दी। हालांकि देश में धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन देखनेवाले बोर्ड ने कमेटी के फैसले से दूरी बना ली है। उसने कहा कि उसे इस संबंध में कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। बता दें कि यह कॉरिडोर गत वर्ष नौ नवंबर को खुला था।
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