बलूचिस्तान के इस शक्तिपीठ की मुस्लिम करते हैं सुरक्षा, पाक के फैसले से प्रभावित हुई है यात्रा
बलूचिस्तान में एक मंदिर ऐसा भी है जिसकी सुरक्षा वहां के मुस्लिम लोग करते हैं। हजारों की संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालु पाकिस्तान के एक अड़ियल रुख से प्रभावित हुए हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अक्सर पाकिस्तान से मंदिरों को तोड़े जाने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। वहीं, पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक मंदिर ऐसा भी है जिसकी सुरक्षा वहां रहने वाले मुस्लिम लोग करते हैं। हालांकि, ये बलोच लोग इन दिनों पाकिस्तान से आजादी की चाहत में पाकिस्तानी फौज के निशाने पर हैं। यह मंदिर है हिंगलाज माता का जो हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों की आस्था का केंद्र हैं। आइये नजर डालते हैं इस मंदिर के इतिहास और इसकी खासियतों पर...
51 शक्तिपीठों में से एक है यह स्थान
मान्यता है कि 51 शक्तिपीठों में से एक इस स्थान पर माता सती का सिर गिरा था। दरअसल, माता सती ने जब आत्मदाह कर लिया था तो भगवान शिव उनके शव को लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे थे। इसके बाद भगवान विष्णु ने शिव के मोह को भंग करने की जिम्मेदारी संभाली थी। उन्होंने अपने चक्र से सती के देह के टुकड़े कर दिए थे। ये टुकड़े धरती पर जहां भी गिरे उन स्थानों को शक्तिपीठ कहा गया। यह मंदिर बलूचिस्तान के मकरान के रेगिस्तान के खेरथार पहाड़ियों की एक श्रृंखला के अंत में स्थित है।
खत्री समुदाय की कुल देवी हैं हिंगलाज
यह मंदिर एक पहाड़ी की छोटी-सी प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है। मंदिर में मिट्टी की वेदी पर देवी की प्राकृतिक छवि एक शिला के रूप में उभरी हुई है। यह मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में लारी तहसील के पहाड़ी इलाके में एक सकरी घाटी में मौजूद है। दुर्गम रास्ता और सड़कें उबड़-खाबड़ होने के चलते कराची के उत्तर-पश्चिम में मौजूद इस मंदिर तक पहुंचने में काफी मुश्किलें आती हैं। कहा जाता है कि हिंगलाज देवी खत्री समुदाय (हिंदू) की कुल देवी हैं, जिनकी भारत में आबादी करीब 1.5 लाख है।
पाक के अड़ियल रवैये का असर यात्रा पर
हर साल हजारों हिंदू और स्थानीय मुस्लिम जनजातियों के लोग माता के मंदिर पहुंचते हैं। इनमें भारतीय श्रद्धलु भी शामिल होते हैं। हालांकि, इस साल पाकिस्तान के अड़ियल रवैये का असर इस यात्रा पर पड़ा है। भारत सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने थार एक्सप्रेस के आवागमन को रोक दिया है। इस वजह से भारतीय श्रद्धालु पाकिस्तान नहीं जा पा रहे हैं। शारदीय नवरात्र में भारतीय श्रद्धालुओं का इसी थार एक्सप्रेस से आना-जाना होता था। हिंगलाज गुफा जिस इलाके में है वहां तीन ज्वालामुखी हैं जिन्हें श्रद्धालु गणेश, शिव और पार्वती के नाम से जानते हैं।
'बीवी नानी' के नाम से चर्चित हैं माता
हिंगलाज माता मंदिर पर स्थानीय बलोच और सिंध के लोगों की अटूट आस्था है। ये लोग इस स्थान को 'नानी का मंदिर' के नाम से पुकारते हैं। देवी हिंगलाज को बीवी नानी के नाम से जाना जाता है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि बीबी नानी, नाना के समकक्ष हो सकती हैं जो कुशाण कालीन सिक्कों पर दिखाई देने वाले एक पूज्य देव थे। स्थानीय मुस्लिम जनजाति और श्रद्धालुओं में इस तीर्थयात्रा को 'नानी का हज' के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस पवित्र स्थान पर भगवान श्रीराम, प्रभु परशुराम के पिता जमदग्नि, गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देव भी आ चुके हैं।