Move to Jagran APP

पाकिस्तान में ईश निंदा के आरोप में मुस्लिम को सुनाई मौत की सजा, पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया

पाकिस्तान में एक अदालत ने मुस्लिम व्यक्ति को ईश निंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। यही नहीं उस पर पांच लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया है। आरोपी को उसके पड़ोसी द्वारा ईश निंदा की शिकायत करने पर कुछ साल पहले गिरफ्तार किया गया था।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 06:02 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 06:02 AM (IST)
पाकिस्तान में ईश निंदा के आरोप में मुस्लिम को सुनाई मौत की सजा, पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया
पाकिस्तान में एक अदालत ने मुस्लिम व्यक्ति को ईश निंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई है।

लाहौर, पीटीआइ। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थानीय अदालत ने एक मुस्लिम व्यक्ति को ईश निंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई और उस पर पांच लाख पाकिस्तानी रुपये (लगभग सवा दो लाख भारतीय रुपये) का जुर्माना लगाया। लाहौर से लगभग 400 किलोमीटर दूर लय्या जिले के निवासी अमीन को उसके पड़ोसी द्वारा ईश निंदा की शिकायत किए जाने पर कुछ साल पहले गिरफ्तार किया गया था।

loksabha election banner

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हसनैन राजा ने उसे अभियोजन पक्ष की गवाही के आधार पर मौत की सजा सुनाई। उल्लेखनीय है कि इस माह की शुरुआत में लाहौर हाई कोर्ट ने एक असाधारण फैसला लेते हुए एक ईसाई को ईश निंदा के आरोप से बरी कर दिया था। लाहौर में सड़क की सफाई करने वाले सावन मसीह को 2013 में ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। आसिया बीबी के बाद यह दूसरा मामला था, जब किसी ईसाई को ईश निंदा के आरोप से बरी किया गया।

हाल ही में बलोचों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे मुनीर मेंगल ने संयुक्त राष्ट्र के जिनेवा स्थित कार्यालय में कहा था कि पाकिस्‍तानी सेना द्वारा चलाए जा रहे उच्च स्तरीय कैडेट कॉलेज में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है कि हिंदू काफिर होते हैं और यहूदी इस्लाम के दुश्मन होते हैं। उन्‍होंने कहा था कि पाकिस्‍तान में ईशनिंदा कानून अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य कहासुनी की घटनाओं में इसका अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है।

इस बीच गिलगिट बाल्टिस्तान में स्थानीय कार्यकर्ता बाबा जान समेत सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग को लेकर चल रहा प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी रहा। जिस कठोर कानून के तहत कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है प्रदर्शनकारियों ने उस पर सवाल उठाया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है, इसलिए यह कानून यहां अमल में नहीं लाया जा सकता।

वहीं जानकारों का कहना है कि कट्टरपंथ के चंगुल में फंसे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। उसके एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आने की संभावना भी नहीं है। चूंकि पाकिस्तान सरकार ने गुपचुप तरीके से पांच हजार से ज्यादा आतंकियों पर से प्रतिबंध हटा लिया है। यहां तक कि हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर जैसे संयुक्त राष्ट्र के घोषित आतंकी सरगनाओं के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है। एफएटीएफ 21 से 23 अक्टूबर के बीच चल रही बैठक में कड़ा फैसला ले सकता है...  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.