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परवेज मुशर्रफ ने विशेष न्‍यायाधिकरण के मौत के फैसले काे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

परवेज मुशर्रफ ने विशेष न्‍यायाधिकरण के फैसले काे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। लाहौर हाईकोर्ट ने 13 जनवरी 2020 के विशेष अदालत के फैसले को असंवैधानिक करार दिया था।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 03:52 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 03:52 PM (IST)
परवेज मुशर्रफ ने विशेष न्‍यायाधिकरण के मौत के फैसले काे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
परवेज मुशर्रफ ने विशेष न्‍यायाधिकरण के मौत के फैसले काे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

इस्‍लामाबाद, एजेंसी । पाकिस्‍तान के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने विशेष न्‍यायाधिकरण के फैसले काे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बता दें कि विशेष न्‍यायाधिकरण ने राजद्रोह में दोषी पाए जाने के बाद मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि, लाहौर हाईकोर्ट ने 13 जनवरी 2020 के विशेष अदालत के फैसले को असंवैधानिक करार दिया था, जिसने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को संगीन देशद्रोह का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी। 

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बता दें कि लाहौर हाईकोर्ट ने 13 जनवरी 2020 को उस विशेष अदालत को असंवैधानिक करार दिया था। यह फैसला लाहौर हाईकोर्ट ने मुशर्रफ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद फांसी की सजा को अमान्य घोषित कर दिया था। न्यायमूर्ति सैयद मज़ार अली अकबर नकवी, मोहम्मद अमीर भट्टी और चौधरी मसूद जहाँगीर सहित उच्च न्यायालय की तीन-न्यायाधीश पीठ द्वारा यह निर्णय सुनाया गया था। यह फैसला लाहौर हाईकोर्ट ने मुशर्रफ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। मुशर्रफ ने इसमें उन्हें दी गई मौत की सजा को चुनौती देते हुए विशेष अदालत के गठन पर सवाल खड़ा किया था। यह कदम पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है। सेवानिवृत्त सेना जनरल ने एक ऑडियो बयान में कहा कि वह बहुत खुश हैं कि शीर्ष अदालत का फैसला कानून और संविधान के अनुसार है।

लाहौर हाईकोर्ट ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा कानून के मुताबिक नहीं चलाया गया था। कोर्ट ने साथ ही मुशर्रफ की मौत की सजा भी माफ कर दी थी।  अटॉर्नी जनरल खान ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि कैबिनेट की पूर्व स्वीकृति के बिना मामले की सुनवाई हेतु विशेष न्यायाधिकरण का गठन किया गया था। कोर्ट ने कहा कि मुकदमा परवेज मुशर्रफ की अनुपस्थिति में चलाया गया जिसे कानूनी रूप से सही नहीं कहा जा सकता। साथ ही, यह मुकदमा जिस विशेष अदालत में चला, उसके गठन में भी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा नहीं किया गया। 

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार ने नवंबर 2007 में पूर्व सेना प्रमुख के खिलाफ एक अतिरिक्त-संवैधानिक आपातकाल लगाने के खिलाफ राजद्रोह का मामला दायर किया था। इस्लामाबाद की विशेष अदालत ने 17 दिसंबर को 74 वर्षीय सेवानिवृत्त जनरल को मौत की सजा सुनाई थी, जो अब दुबई में स्थित है। 


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