Indian Woman Found In Pakistan: 20 साल बाद पाकिस्तान में मिली लापता भारतीय महिला, भारत सरकार से मांगी मदद
मुंबई में एक रिक्रूटमेंट एजेंट द्वारा दुबई में नौकरी देने का वादा करने के बाद 20 साल पहले लापता हुई एक भारतीय महिला को सोशल मीडिया पर एक वीडियो की मदद से ढूंढा गया। परिवार से दोबारा जुड़ने के लिए भारत सरकार से मांग रही है मदद
कराची, एजेंसियां। मुंबई में एक रिक्रूटमेंट एजेंट द्वारा दुबई में नौकरी देने का वादा करने के बाद 20 साल पहले लापता हुई एक भारतीय महिला को सोशल मीडिया पर एक वीडियो की मदद से ढूंढा गया है और अपील की जा रही है कि भारत सरकार उसके परिवार के साथ पुनर्मिलन में उसकी मदद करें। कराची में एक मस्जिद के इमाम वलीउल्लाह मरूफ ने कहा कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया है और हमीदी बेगम को वापस मुंबई भेजने के लिए उनसे मिलना चाहते हैं। मारूफ ने पीटीआई को बताया, "वह घर जाने और अपने परिवार के साथ फिर से जुड़ने के लिए बेताब है क्योंकि वह अब कराची में अपने सौतेले बेटे के साथ रहती है।"
बीस साल से पाकिस्तान में है हमीदी
हमीदी ने काल पर भावुक स्वर में कहा कि उसने 20 साल से अपने बच्चों और परिवार को नहीं देखा "मैं अपनी बेटी और पोती से वीडियो काल पर बात करने में सक्षम थी, लेकिन मैं उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहती हूं।" कतर में रसोइया के रूप में काम करने वाले हमीदी को 2002 में मुंबई में एक भर्ती एजेंट द्वारा दुबई में नौकरी देने का वादा किया गया था। एजेंट ने उसे धोखा दिया और कराची ले गया। कराची से उसे पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हैदराबाद ले जाया गया जहां उसे तीन महीने के लिए बंद कर दिया गया। अपनी रिहाई के बाद, उसने एक पाकिस्तानी विधुर से शादी की।
मारूफ के मुताबिक, भारतीय महिला के पाकिस्तानी पति का तीन साल पहले निधन हो गया था। "मुझे पता था कि इस महिला के साथ एक समस्या थी क्योंकि वह हमेशा चिंतित दिखती थी। जब उसने मुझे अपनी कहानी सुनाई, तो मैंने YouTube पर उसका वीडियो और कहानी पोस्ट करके उसकी मदद करने का फैसला किया, जहां से सौभाग्य से खलफान शेख नाम के भारतीय पत्रकार ने इसे देखा और मुझसे संपर्क किया।
मारूफ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल बांग्लादेश की महिलाओं की मदद करने के लिए भी किया है जिन्हें पाकिस्तान में तस्करी कर लाया गया था। उन्होंने कहा कि हमीदी जैसी महिलाएं अनपढ़ और आर्थिक रूप से गरीब हैं और उनके लिए पाकिस्तान में काम ढूंढना मुश्किल हो जाता है। मरूफ ने कहा, "उसे अपना मुंबई का पता और अपने बच्चों का नाम भी याद था और जब हमने उसकी बेटी यास्मीन शेख के साथ वीडियो काल की व्यवस्था की तो यह हम सभी के लिए बहुत ही भावुक क्षण था।”
कतर और रियाद में विदेश में रहते हुए हमीदी ने नियमित रूप से अपने परिवार को फोन किया। 2002 के बाद, जब 20,000 रुपये का भुगतान करने के बाद एजेंट ने उसे बरगलाया, तो उसका परिवार के सदस्यों से संपर्क टूट गया क्योंकि वह एक कमरे में बंद थी और उसके पास पैसे नहीं थे। उनकी बेटी यास्मीन ने कहा कि जब वह विदेश में रहती थीं तो उनकी मां उन्हें नियमित रूप से फोन करती थीं।
2002 में हमीदी के घर छोड़ने के बाद परिवार ने फोन काल के लिए महीनों इंतजार किया और आखिरकार उस एजेंट से संपर्क किया जिसने यात्रा का आयोजन किया था। “उसने हमें बताया कि हमारी माँ ठीक थी और हमसे बात नहीं करना चाहती थी। हम अपनी मां के बारे में सवाल पूछने के लिए लौटते रहे, और फिर वह एजेंट अचानक गायब हो गया।