पाक में मौलाना फजलुर्रहमान बोले मदरसों को आतंकवाद से जोड़ना पूरी तरह से गलत
मौलाना फजलुर्रहमान ने कहा कि वो मदरसा पाठ्यक्रम में किसी तरह से बदलाव करने के पक्ष में नहीं है। मदरसों को आतंकवाद से जोड़ना ठीक नहीं है।
रावलपिंडी, एजेंसी। पाकिस्तान में जमीयते-उलेमाए-इस्लाम के नेता मौलाना फजलुर्रहमान ने एक बार फिर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस बार उनका मोर्चा मदरसे और वहां पढ़ाए जा रहे पाठयक्रम को लेकर है। उनका कहना है कि मदरसा पाठ्यक्रम में सुधार और इसके नाम पर धार्मिक शिक्षा नीति में किसी भी तरह के बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा। द डॉन अखबार के अनुसार शुक्रवार को रावलपिंडि में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मौलाना ने कहा कि मदरसों को आतंकवाद से जोड़ना एक गलत सोच है।
इससे पहले भी आजादी मार्च निकालकर मौलाना फजलुर्रहमान पाक सरकार की नाक में दम कर चुके हैं। मौलाना ने पाकिस्तान में इमरान सरकार को सत्ता से हटाने के लिए ये मार्च निकाला था, इसमें पाक की राजनीतिक दल के अन्य सदस्यों ने भी हिस्सा लिया था। बड़े पैमाने पर मौलाना को इसमें समर्थन मिला था। पूरे पाकिस्तान में इस मार्च को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हुई थी। एकबारगी तो लगा था कि इमरान खान को सरकार से जाना होगा मगर फिर स्थितियां संभाल ली गई। मौलाना ने कहा कि मदरसे पाकिस्तान में शिक्षा का
प्रसार कर रहे हैं और समाज में शांति की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने इससे पहले इस्लामाबाद में भी कहा था कि मदरसों में सुधार की कवायद निंदनीय है और इसका समाज पर बहुत नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की केंद्रीय समिति ने शिक्षा मंत्रालय की इस कवायद के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन छेड़ने का फैसला किया है। मौलाना ने कहा कि उनकी पार्टी सरकारी खजाने से मदरसे के विद्यार्थियों को मानद राशि देने का भी विरोध करती है।
मौलाना ने कहा कि वो किसी भी मदरसे के लिए सरकार से पैसे नहीं लेंगे। यह मदरसों के खिलाफ साजिश है। अमेरिका और पश्चिमी जगत मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव चाहते हैं और इसके लिए वे अरबों डॉलर खर्च करने के लिए तैयार हैं। जो ताकतें मदरसों के पाठ्यक्रम को विश्व शांति के लिए खतरा बता रही हैं, हम उनसे कहना चाहते हैं कि उन्हीं की नीतियां दुनिया में उग्रवाद के लिए जिम्मेदार हैं। सरकार के खिलाफ एक और आंदोलन छोड़ने की बात करने वाले मौलाना कहा कि लोग जल्द ही बदलाव देखेंगे।
जल्द ही वो दूसरा आजादी मार्च निकालेंगे जिसके झटके इस्लामाबाद तक महसूस किए जाएंगे। जो कमियां पहले वाले आजादी मार्च में रह गई हैं उनको इसमें दूर किया जाएगा। पाकिस्तान में इन मदरसों के माध्यम से शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। कोई धार्मिक उन्माद नहीं फैलाया जा रहा है।