पाकिस्तान में कुपोषण का कहर, थार जिले में बीमारियों से 36 बच्चों की मौत
पाकिस्तान में कुपोषण का कहर बरपा है। देश के सिंध प्रांत के एक जिले थार में 36 से अधिक बच्चों की कुपोषण के कारण मौत हो गई है। 2022 के पहले महीने में देश को बड़ा झटका लगा है। प्रांतीय सरकार को इस स्थिति ने मुश्किल में डाल दिया है।
सिंध, एएनआइ। पाकिस्तान में कुपोषण का कहर बरपा है। देश के सिंध प्रांत के एक जिले थार में 36 से अधिक बच्चों की कुपोषण के कारण मौत हो गई है। 2022 के पहले महीने में देश को बड़ा झटका लगा है। प्रांतीय सरकार को इस भयावह स्थिति ने मुश्किल में डाल दिया है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, हैदराबाद के उप महानिदेशक स्वास्थ्य डा इरशाद मेमन ने 36 शिशुओं की मौत की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि थार पारकर जिले और उसके आसपास के क्षेत्रों में पैदा हुए बच्चे कुपोषण और अन्य मुद्दों से पीड़ित हैं।
कुपोषण का शिकार हुए बच्चे
हैदराबाद के उप महानिदेशक स्वास्थ्य डा इरशाद मेमन द्वारा 36 बच्चों की मौत का मुख्य कारण कुपोषण बताया गया है। उन्होंने कहा है कि इन शिशुओं में कुपोषण इनके माता-पिता की कम उम्र में हुए विवाह के कारण आयरन की कमी के चलते हो रहा है। उन्होंने कहा, 'दस से अधिक बच्चों वाले परिवारों में भूख और विरासत में मिले विकारों से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है, और उनके बच्चों के अत्यधिक कम वजन होने की संभावना होती है,'
उप महानिदेशक स्वास्थ्य डा इरशाद मेमन ने बताया मौत का कारण
डा इरशाद मेमन ने बच्चों की मौत का कारण बताते हुए कहा, 'ज्ञान और जागरूकता की कमी के कारण ऊपरी सिंध में महिलाओं और बच्चों में विभिन्न चिकित्सा समस्याएं मौजूद हैं , जबकि चरम मौसम की स्थिति भी उनके स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालती है।'
पाकिस्तान समाचार पत्र ने बताया कि मौतों का कारण मां द्वारा बच्चों के पैदा करने वक्त से ही शुरु हो जाता है, जिसमें प्रसवपूर्व जटिलताओं के साथ-साथ निमोनिया, एनीमिया, खसरा और श्वसन संक्रमण जैसी बीमारियां जुड़ी हुई हैं।
कुपोषण के अलावा अन्य कारण
डा इरशाद मेमन ने थार में स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता और पोषण सहित कई कारकों को बच्चों में कुपोषण और अन्य कारणों का जिम्मेदार बताया है। यह सारी कमियां लंबे समय से सिंध के लिए एक बड़ी बाधा बनी हुईं हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मरने वाले बच्चों में अधिकतर नवजात शिशु या बच्चे शामिल थे, जिनमें मीठी के आठ, इस्लामकोट के सात, डिप्लो के छह, चाचरो के तीन, नंगरपारकर के सात और आसपास के अन्य स्थानों के पांच छोटे बच्चे कुपोषण का शिकार हुए हैं।