106 अरब डॉलर के कर्ज में डूबा है इमरान का नया पाकिस्तान, महंगाई ने तोड़ दी कमर
पाकिस्तान में कमरतोड़ महंगाई लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है। इसने एक दशक का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। ये है इमरान के नए पाकिस्तान की सच्चाई।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। कमरतोड़ महंगाई ने पाकिस्तान के लोगों की जान आफत में कर रखी है। आलम ये है कि देश में लगातार बढ़ रही महंगाई दर अब 14.56 फीसद तक जा पहुंची है। इसकी वजह से हर रोज लोगों की मुश्किलें बढ़ रही है। पिछले एक वर्ष की बात करें तो देश में दूध, रोटी, नान, ब्रेड, मक्खन, मटन, चिकन, फल और सब्जी के दामों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यहां के लोग हर रोज एक नया रिकार्ड बनाने वाली महंगाई की मार को झेलने पर मजबूर हैं। पाकिस्तान में जानकारों की मानें तो महंगाई दर आने वाले समय में 20 फीसद का भी आंकड़ा छू सकती है। आपको यहांं पर ये भी बता दें कि इस एक दशक के दौरान सिर्फ महंगाई ही नहीं बल्कि पाकिस्तान पर कर्ज भी करीब तीन गुणा बढ़ गया है। महंगाई और कर्ज में डूबे पाकिस्तान का एक मजाकिया पहलू ये भी है कि इमरान खान जब सत्ता में आए थे तो उन्होंने वहां की जनता को नया पाकिस्तान बनाने का सुनहरा ख्वाब दिखाया था। लेकिन दो वर्ष बाद इस ख्वाब की हकीकत यहां के लोगों के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही है।
2010-11 में थी इतनी महंगाई
पाकिस्तान के सरकारी आंकड़ों की मानें तो दिसंबर में महंगाई दर (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) 12.63 फीसद पर थी। इसकी वजह दाल, चिकन, सब्जी की कीमतों में तेजी को माना गया था। इसने यहां के लोगों की रसोई का बजट पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया था। वहीं जनवरी में महंगाई दर बढ़कर 13.25 फीसद पर पहुंच गई थी। अब फरवरी की एक तारीख को यह 14.56 फीसद पर रिकॉर्ड की गई है। 1994-95 और 2010-11 के दौरान भी पाकिस्तान में लगभग यही महंगाई दर रिकॉर्ड की गई थी।
इमरान सरकार की देन है रिकॉर्ड तोड़ महंगाई
गौरतलब है कि इमरान खान ने 17 अगस्त 2018 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। पीएम बनने के महज आठ माह के अंदर ही महंगाई बीते पांच वर्षों का रिकॉर्ड तोड़कर 8.21 फीसद से बढ़कर 9.41 फीसद तक पहुंच गई थी। इसकी वजह से तेल, खाने-पीने की चीजों की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हुआ था। तब से लेकर अब तक महंगाई लगातार बढ़ रही है।
कर्ज की राह पर पाकिस्तान
आपको यहां पर ये भी बता दें कि पाकिस्तान लगातार आर्थिकतौर पर दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहा है। खुद को इस स्तर से बचाने के लिए पाकिस्तान ने बीते वर्ष आईएमएफ से करीब छह अरब डॉलर का कर्ज लिया था।इसके अलावा सऊदी अरब, कतर और यूएई ने भी पाकिस्तान को कर्ज दिया था। इसके बावजूद भी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार बद से बदत्तर होती जा रही है। बीते पांच वर्षों की तुलना करें तो वर्तमान में हर चीज के रेट पाकिस्तान में 2-3 गुणा तक बढ़ चुके हैं। पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली की सबसे बड़ी वजह इमरान सरकार की खराब नीतियां रही हैं।
बदहाली की राह है आर्थिक कॉरिडोर
आपको यहां पर ये भी याद दिला दें कि पिछले माह ही वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक एलिस वेल्स ने कहा था कि पाकिस्तान चीन के सहयोग से बन रहे आर्थिक कॉरिडोर की वजह से कर्ज में इस कदर डूब जाएगा कि उससे पार पाना उसके लिए मुश्किल हो जाएगा। उनकी इस सच्चाई को भले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने हितों की वजह से सिरे से खारिज कर दिया था, लेकिन इसकी सच्चाई यही है। यहां पर महंगाई का आलम ये है कि भारत में जहां एक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 71 रुपये पर है तो वहीं पाकिस्तानी रुपया 154 रुपये से भी ऊपर जा पहुंचा है।
पिछड़ता प्रोजेक्ट
यह पहली बार नहीं है कि अमेरिका ने इस कॉरिडोर को लेकर इस तरह का बयान दिया हो। इससे पहले दिसंबर 2019 में भी अमेरिका ने इसी तरह का बयान दिया था। पाकिस्तान में आर्थिक और राजनीतिक जानकार भले ही इस कॉरिडोर को देश के लिए घाटे का सौदा न मानते हों लेकिन वो इतना जरूर मानते हैं कि इसके समय से पूरा न होने और जो ख्वाब इसको लेकर संजोए गए थे उसमें यह फिलहाल पिछड़ जरूर गया है। इसकी वजह से पाकिस्तान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है।
तीन गुणा बढ़ गया कर्ज
सीईआईसी के आंकड़े इस बात की तसदीक कर रहे हैं कि देश पर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है।आपको जानकर हैरत होगी कि बीते 13 वर्षों में पाकिस्तान पर कर्ज भी तीन गुणा से अधिक हो चुका है। सितंबर 2019 में पाकिस्तान पर 106.9 अरब डॉलर का कर्ज था। वहींं वर्ष 2006 में पाकिस्तान पर महज 37.2 अरब डॉलर का कर्ज था। आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पाकिस्तान पर बढ़ता कर्ज का बोझ भी मौजूदा इमरान सरकार की ही देन है।
अमेरिकी मदद का न मिलना
वेल्स का दिया बयान और आंकड़े कहीं न कहीं पाकिस्तान की बदहाली का सुबूत दे रहे हैं। वेल्स की मानें तो आर्थिक कॉरिडोर के निर्माण में चीन ने अपनी कंपनियों के हितों को ध्यान में रखते हुए बड़े ठेके उनकी झोली में डाले हैं। वहीं पाकिस्तान के हाथों में केवल सस्ती मजदूरी ही लगी है। पाकिस्ताान की बदहाली की वजह केवल आर्थिक कॉरिडोर ही नहीं है बल्कि एक दूसरी बड़ी वजह अमेरिकी मदद का न मिलना भी है। इस मदद को वर्ष 2018 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रोक दिया था। गौरतलब है कि 9/11 हमले बाद अमेरिका ने आतंकवाद को कुचलने के लिए पाकिस्तान को आर्थिक मदद देनी शुरू की थी। वर्ष 2009 में दोनों देशों के बीच रिश्तों में आई खटास के बाद इस मदद में कटौती को लेकर अमेरिकी सदन में प्रस्ताव पास किया गया था। धीरे-धीरे इस मदद में कटौती होती चली गई और बाद में ट्रंप ने इसको पूरी तरह से रोक दिया था। इसकी वजह आतंकवाद से लड़ने को लेकर दी जा रही मदद का सही इस्तेमाल न होना था।
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