भारत-पाक के सैनिकों ने पहली बार एक साथ किया युद्ध अभ्यास
युद्ध अभ्यास का मकसद आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने में सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाना है।
मॉस्को, प्रेट्र। भारत और पाकिस्तान के बीच तल्ख रिश्तों को बावजूद दोनों देशों के सैनिकों ने पहली बार एक बड़े युद्ध अभ्यास में भाग लिया है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) द्वारा कराए जा रहे इस युद्ध अभ्यास का मकसद आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने में सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाना है। भारत और पाकिस्तान के अलावा इस अभ्यास में रूस, चीन, किरगिस्तान, कजाखिस्तान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान सहित सभी सदस्य राष्ट्र हिस्सा ले रहे हैं। इन देशों के कम-से-कम तीन हजार सैनिक इस सैन्य अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
रूस में कराया जा रहा युद्ध अभ्यास
पिछले साल जून में एससीओ का सदस्य बनने के बाद से भारत पहली बार इस सैन्य अभ्यास में भाग ले रहा है। एससीओ शांति मिशन के नाम से इस अभ्यास का आयोजन हर दो साल में किया जाता है। इस साल यह रूसी शहर चेल्याबिंस्क में 22-29 अगस्त तक चलेगा। उजबेकिस्तान के 10 प्रतिनिधि पर्यवेक्षक के तौर पर काम कर रहे हैं।
चीनी मीडिया के अनुसार, इस सैन्य अभ्यास से एससीओ सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ेगा और उनके सैनिक सर्वोत्तम रणनीति आपस में साझा करेंगे। पिछला युद्ध अभ्यास मुख्यत: मध्य एशियाई देशों के बीच सीमित था।
200 भारतीय सैनिक ले रहे भाग
भारतीय टुकड़ी में 200 सैनिक शामिल हैं। सेना और वायु सेना के जवान निशानेबाजी, रणनीति संचालन, युद्ध अनुकूलन और हस्तक्षेप अभ्यास सहित कई तरह का प्रशिक्षण ले रहे हैं। भारत की ओर से इस अभ्यास में थल सेना की 5-राजपूत रेजिमेंट के सैनिकों को भेजा गया है। भारतीय टुकड़ी में थल सेना के 167 जवान और वायु सेना के 33 जवान भाग ले रहे हैं।