पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर बढ़े हमले, बुजुर्ग की हत्या
पेशावर में एक 82 साल के बुजुर्ग महबूब खान की गोली मारकर हत्या कर दी। अहमदिया मुस्लिम होने के कारण हमलावरों ने गोली मार दी। महबूब खान नामक शख्स रविवार को बस स्टैंड पर खड़ा हुआ था उसी समय इस वारदात को हमलावरों ने अंजाम दिया।
पेशावर, एपी। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पेशावर में एक 82 साल के बुजुर्ग महबूब खान की गोली मारकर हत्या कर दी। हमलावरों ने महबूब को महज इसलिए गोली मारी , क्योंकि वह अहमदिया मुस्लिम था। पाकिस्तान सरकार ने 1974 में संसद में प्रस्ताव पारित करते हुए अहमदिया संप्रदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया है।
महबूब खान रविवार को बस स्टैंड पर खड़ा हुआ था, उसी समय इस वारदात को हमलावरों ने अंजाम दिया। पाकिस्तान अहमदिया संप्रदाय के प्रवक्ता सलीमउद्दीन ने बताया कि उसे सिर्फ इसलिए मार दिया, क्योंकि वह उनके संप्रदाय का था।
पैंगबर में विश्वास रखने वाले अहमदिया संप्रदाय की स्थापना भारतीय उप-महाद्वीप पर 19 वीं सदी में मिर्जा गुलाम अहमद ने की थी। पाकिस्तान में काफी संख्या में इस संप्रदाय के लोग हैं। गैर-मुस्लिम घोषित करने के बाद से ही उन पर इस्लामिक अतिवादियों के हमले बढ़ गए हैं।
ज्ञात हो कि अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हमलों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार संगठन पाक के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की संयुक्त राष्ट्र से मांग कर चुके हैं।
बता दें कि सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) में भारत ने पाकिस्तान को अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर घेरा था। भारत ने कहा था कि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों की हत्या का मैदान बन गया है। साथ ही पाकिस्तान में जो भी व्यक्ति सरकार या सेना के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे उसे सरकारी मशीनरी के द्वारा गायब कर दिया जाता है। इस तरह मतभेद और आलोचना के स्वर दबा दिए जाते हैं।
भारत ने कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और लद्दाख के हिस्सों में चार में से तीन लोग बाहरी हैं। पाकिस्तान ने इन लोगों को मूलवासियों की आवाज को दबाने के लिए बसाया है। मूलवासियों की जनसंख्या का अनुपात कम करने के लिए भेजा है। वहां पर मूलवासियों के पास मानवाधिकार, राजनीतिक अधिकार और कानूनी अधिकार नहीं हैं।