कतर में अमेरिकी राजनयिक ने तीन दिनों तक तालिबान से की बात
अमेरिकी राजनयिक जालमे खलीलजाद ने खाड़ी देश कतर में तीन दिनों तक तालिबान के प्रतिनिधियों से वार्ता की।
इस्लामाबाद, एपी। अमेरिकी राजनयिक जालमे खलीलजाद ने खाड़ी देश कतर में तीन दिनों तक तालिबान के प्रतिनिधियों से वार्ता की। अफगानिस्तान के आतंकी संगठन का कतर में राजनीतिक दफ्तर है। इस वार्ता का मकसद अफगान शांति प्रक्रिया को फिर शुरू करना था। अमेरिका ने 17 साल पहले सहयोगी देशों के साथ मिलकर तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से हटा दिया था। तब से ही अफगानिस्तान में तालिबान और अमेरिका के बीच जंग छिड़ी है।
तालिबान से जुड़े सूत्रों ने रविवार को यहां बताया कि तालिबान शासन में अफगानिस्तान के हेरात प्रांत के गर्वनर रहे खैरुल्ला खैरख्वा और तालिबान के पूर्व सैन्य कमांडर मुहम्मद फजल ने इस वार्ता में हिस्सा लिया। अमेरिका ने 2014 में सार्जेट बोवे बेर्गदल के बदले में खैरख्वा और फजल समेत तालिबान के पांच वरिष्ठ सदस्यों को गुआंतानामो बे जेल से रिहा किया था।
तालिबान ने 2009 में सार्जेट बोवे को अगवा कर लिया था। अफगानिस्तान में अगले साल 20 अप्रैल को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। सूत्रों का कहना है कि तालिबान इस चुनाव को टालने के साथ एक तटस्थ नेता के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के लिए दबाव बना रहा है। तालिबान ने इसके लिए इस्लामिक विद्वान अब्दुल सत्तार का नाम भी सुझाया है।
सूत्रों के अनुसार, तालिबान ने खलीलजाद के संघर्ष विराम के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। खलीलजाद छह महीने के भीतर इस समस्या का समाधान चाहते हैं। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने हालांकि इस वार्ता की पुष्टि करने से इन्कार कर दिया।
सैन्य कमांडर ने तालिबान को लेकर जताई चिंता
वाशिंगटन। अमेरिकी सेना के सुप्रीम कमांडर जनरल जोसेफ डनफोर्ड ने अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत पर चिंता जताई है। कनाडा में आयोजित एक सुरक्षा सम्मेलन में डनफोर्ड ने कहा, अफगानिस्तान की समस्या का हल सिर्फ सैन्य तरीके से नहीं हो सकता। तालिबान पर बातचीत के दबाव को और बढ़ाना होगा ताकि वे अफगानिस्तान में राजनीतिक हल की दिशा में आगे बढ़ें।