पाकिस्तान में हो रहे आंदोलनों की वजह से इमरान की कुर्सी पर छाए संकट के बादल
पाकिस्तान में तमाम तरह के आंदोलन हो रहे हैं इस वजह से इमरान सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं। अब यहां स्टूडेंट यूनियन भी इमरान सरकार से आजादी की मांग करने लगी है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान में इमरान सरकार की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। यहां आसमान छूती महंगाई और दलों का प्रदर्शन सरकार के लिए पहले से ही मुसीबत बना हुआ है। उधर अब सुप्रीम कोर्ट ने सेना प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाए जाने को लेकर संसद में कानून पास कराने की मांग की है। पाकिस्तान सीनेट में इमरान सरकार के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में मुश्किल है कि उनके सेना प्रमुख के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को बाकी लोग मदद करेंगे।
महंगाई और कॉलेजों में सरकार से आजादी के लग रहे नारे
इस वजह से प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की मुश्किलें किसी तरह से खत्म होती नहीं दिख रही हैं। महंगाई और स्थानीय कॉलेजों में सरकार से आजादी के लिए लगाए जा रहे नारे से परेशानी बढ़ती जा रही है। सरकार अभी मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व में हुए बड़े आंदोलन से उबर भी नहीं पाई है, दूसरी ओर अब छात्रों ने देशव्यापी आंदोलन छेड़ दिया है। उधर एक बात बड़ी बात ये भी है कि अभी मौलाना फजलुर रहमान का आंदोलन भी पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है। उन्होंने भी इमरान खान से इस्तीफा देने की मांग की थी, वो उसी पर कायम है। मालूम हो कि इन दिनों पाकिस्तान में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI)की सरकार राज कर रही है, ये इमरान खान की पार्टी है।
जनविरोधी नीतियों के खिलाफ रोजाना सुन रहे इमरान
सरकार की जनविरोधी नीतियों और लचर कानून व्यवस्था को लेकर मौलाना फजलुर रहमान रोजाना सरकार को खरी खोटी सुनाते रहते हैं। बीते दिनों मौलाना ने जो आजादी मार्च किया उसको लेकर सरकार की तमाम आलोचना हुई, उनके आंदोलन का अन्य संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने भी समर्थन किया। इस वजह से इमरान सरकार बौखलाई हुई थी। मौलाना विभिन्न विपक्षी पार्टियों व अन्य संगठनों के साथ भी संपर्क में हैं और एक बार फिर से बड़े आंदोलन की नींव रखने की तैयारी कर रहे हैं। इमरान सरकार को सत्ता से हटाने के लिए आजादी मार्च और देशव्यापी धरनों के बाद अब आंदोलन के अगले चरण पर विचार के लिए जमीयते उलेमा-ए इस्लाम-एफ (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने इसी सप्ताह सभी दलों का एक सम्मेलन भी बुलाया था।
मौलाना के पास आजादी मार्च के अलावा प्लान ए और बी
जमीयते उलेमा-ए-इस्लाम-एफ के सूत्रों ने बताया कि मौलाना फजलुर रहमान के पास आजादी मार्च के लिए कोई एक ही योजना नहीं है, बल्कि उनके पास प्लान ए और बी भी हैं। इसके अलावा वह विपक्षी दलों के इन नेताओं को सरकार को गिराने के लिए हुई गुप्त वार्ताओं की भी जानकारी दे रहे हैं। वह विपक्षी नेताओं को बता रहे हैं कि सरकार की जड़ों को कैसे काटना है। दूसरी ओर इन दिनों पाकिस्तान में छात्र आंदोलन भी चल रहा है, इससे भी इमरान सरकार की नींद उड़ी हुई है। छात्र संघों की बहाली, बेहतर व सुलभ शिक्षा उपलब्ध कराने व परिसरों में किसी भी तरह के लैंगिक तथा धार्मिक भेदभाव के खिलाफ पाकिस्तान के छात्र-छात्राओं ने बीते शुक्रवार (जुम्मे के दिन) देशव्यापी प्रदर्शन किया था। कुल मिलाकर पाकिस्तान में किसी न किसी बात को लेकर आए दिन कोई न कोई आंदोलन होता ही रहता है, इससे सरकार की किरकिरी हो रही है।
स्टूडेंट्स ने लगाए नारे 'हमें क्या चाहिए, आजादी'
स्टूडेंट्स के इस आंदोलन में समाज के अन्य तबकों के लोग भी शामिल हुए। सभी प्रांतों में शुक्रवार को जगह-जगह निकाले गए 'छात्र एकजुटता मार्च' में अभिव्यक्ति व दमन से आजादी की मांग करते हुए 'हमें क्या चाहिए आजादी' के नारे लगाए गए। स्टूडेंट ऐक्शन कमेटी (SAC)के नेतृत्व में हुए इस मार्च को राजनैतिक दलों के साथ-साथ, किसान, मजदूर व अल्पसंख्यक समुदायों के संगठनों का समर्थन हासिल रहा। इस मार्च के मायने इसलिए अधिक हैं क्योंकि इसमें विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके माता-पिता, वकील व सिविल सोसाइटी के सदस्य भी शामिल हुए।
इमरान के कुर्सी से हटने का बेसब्री से इंतजार
इरमान सरकार की मुश्किलें इतने पर ही खत्म नहीं होती क्योंकि फजलुर रहमान व छात्रों के आंदोलन तो चल ही रहे हैं। इसी के साथ यहां की आम जनता महंगाई व बेरोजगारी से त्रस्त है और इमरान खान के कुर्सी से हटने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। इस वजह से अब इमरान खान को अपनी कुर्सी का डर अधिक सताने लगा है।
बहुमत है नहीं, सेना प्रमुख के लिए कैसे लाएंगे कानून?
सेना प्रमुख जनरल बाजवा को सुप्रीम कोर्ट से तो 6 माह के लिए सेवा विस्तार तो दे दिया गया है मगर इस समय में प्रधानमंत्री इमरान खान को इसके लिए कानून लाना होगा। पाकिस्तान की सीनेट में इमरान के पास बहुमत नहीं है और उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अगले 6 महीने में सेना प्रमुख के सेवा विस्तार पर कानून लाना होगा। यदि इसमें वो नाकामयाब रहते हैं तो उनको जनता के साथ-साथ सरकार और कानून की भी लताड़ लगेगी।