Move to Jagran APP

कहीं इमरान पर ही भारी न पड़ जाए उनका ईरान और सऊदी अरब का दौरा, ये है वजह

इमरान खान के सऊदी अरब और ईरान के दौरे का एजेंडा क्या है इसके बारे में शाह महमूद कुरैशी ने खुलकर बात की।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 01:33 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 08:22 AM (IST)
कहीं इमरान पर ही भारी न पड़ जाए उनका ईरान और सऊदी अरब का दौरा, ये है वजह
कहीं इमरान पर ही भारी न पड़ जाए उनका ईरान और सऊदी अरब का दौरा, ये है वजह

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री एक बार फिर कश्मीर मसले पर मुस्लिम देशों से समर्थन मांगने के लिए यात्रा पर चले गए हैं। वो कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा चुके हैं और वहां से मदद की गुहार भी लगा चुके हैं मगर किसी देश ने उनके साथ इस मामले पर कोई खुलकर कोई समर्थन नहीं किया। उनको उम्मीद थी कि अमेरिका इस मामले में हस्तक्षेप करेगा और भारत से कश्मीर पर अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए कहेगा मगर वहां से भी उनके नापाक मंसूबों को कामयाबी नहीं मिल पाई। और तो और कश्मीर के मामले पर कोई बड़ा मुस्लिम देश भी उनके साथ खड़ा नहीं नजर आ रहा है। सिर्फ मलेशिया और तुर्की ने साथ देने के लिए थोड़ी सी रजामंदी दी थी, उनकी इस रजामंदी के पीछे उनके अपने फायदे निहित थे। 

loksabha election banner

ईरान और सऊदी अरब की यात्रा 

इमरान खान रविवार से ईरान और सऊदी अरब की यात्रा के लिए निकल गए हैं। पहले वो ईरान गए हैं उसके बाद सऊदी अरब जाएंगे। उनकी इन दोनों देशों की यात्रा का एजेंडा क्या है? इसका राज विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने खोल दिया। उन्होंने दोनों देशों की यात्रा पर जाने का पूरा एजेंडा बताया। कहा कि ईरान और सऊदी अरब दो मुस्लिम देश हैं, इस वजह से उनसे इस मामले में दखल देने के लिए कहा जा रहा है जिससे कश्मीर के मुद्दे को सुलझाया जा सके। 

दे चुके परमाणु हमले की धमकी फिर भी कुछ नहीं हासिल 

मालूम हो कि अभी तक पाकिस्तान की ओर से कश्मीर के मुद्दे को लेकर भारत से जंग की तैयारी की जा रही थी। परमाणु बम से हमला किए जाने तक की बात कही गई। इमरान खान ने UNGA की बैठक में अंतरराष्ट्रीय मंच से परमाणु युद्ध तक की बात कह दी थी। उन्होंने सोचा था कि यदि वो वहां पर इस तरह की बातें कह देंगे तो हो सकता है कि अंतरराष्ट्रीय मंच इस ओर गंभीरता से विचार करें और कश्मीर को लेकर कुछ हो मगर उनकी इस गीदड़भभकी का भी कोई असर नहीं हुआ। वहां से निराशा हाथ लगने के बाद अब वो फिर से ईरान और सऊदी अरब जाकर इन दो मुस्लिम देशों को अपने साथ जोड़ना चाह रहे हैं। 

मुस्लिम देशों को साथ लेकर चलने की तैयारी 

शाह महमूद कुरैशी से जब ये पूछा गया कि इमरान खान किस-किस एजेंडे को लेकर इन दोनों देशों की यात्रा पर गए हैं? तो शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि एजेंडा तय है, कश्मीर के मसले पर हम इन दोनों देशों को साथ लेकर चलना चाहते है, जब साथ देने वालों की संख्या बढे़गी तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर दबाव बढ़ेगा। उसके बाद इस मसले का बातचीत के जरिए हल निकाला जाएगा। कुरैशी अब युद्ध या परमाणु हमले की बात नहीं करते। उनका कहना था कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। यदि युद्ध होगा तो उससे काफी नुकसान होगा। ग्लोबल इकानमी पर भी असर पड़ेगा। जन-धन की हानि तो निश्चित है। 

अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहले कभी नहीं उठा कश्मीर मुद्दा 

जब उनसे पूछा गया कि पाक नेता हसन इकबाल ही कह रहे हैं कि कश्मीर के मसले पर अब कुछ नहीं हो पाएगा? पाकिस्तान को कुछ हासिल नहीं होगा, भारत ने जो कर दिया वो उस पर कायम रहेगा?  सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हसन इकबाल जब सत्ता में थे तो उन्होंने अपने 5 साल के कार्यकाल में एक बार भी इस मुद्दे पर कोई बात नहीं की, यहां तक कि कश्मीर का नाम तक नहीं लिया, ये मामला 72 साल पुराना है, उनकी सोच मासूम है। इसी सरकार ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया है। आज कश्मीर के बारे में अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भी पता चल चुका है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। कश्मीर को लेकर तमाम मंचों पर बहस भी हो रही है। 

डिप्लोमैसी पॉलिसी के तहत कर रहे काम 

शाह महमूद कुरैशी अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते रहे। जब उनसे ये पूछा गया कि कश्मीर के बदलाव को लेकर वो क्या कहेंगे? तो उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना ठीक नहीं रहा है। कश्मीर के लोग जमा हो रहे हैं वो खुद इस चीज को गलत बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक डिप्लोमैसी पॉलिसी के तहत काम किया जा रहा है। ये कोई हथौड़ा मारने वाला काम नहीं है। 

बड़ा सवाल? 

इमरान के इस दौरे पर मुख्य बात ये है कि सऊदी अरब और ईरान के आपसी रिश्ते हमेशा से ही बेहद तनावपूर्ण रहे हैं। सबसे बड़ी बात इनमें शिया और सुन्नी होने का है। दूसरा सऊदी अरब जहां अमेरिका का दोस्त है वहीं ईरान से अमेरिका 36 का आंकड़ा है। इसके अलावा पाकिस्तान से भी अमेरिका संबंध अब पहले की तरह बेहतर नहीं है। वहीं मुस्लिम देशों के संगठन OIC में भी कश्मीर मसले पर पाकिस्तान का साथ उस तरह से नहीं दिया जिसकी कोशिश पाकिस्तान की ओर से की गई थी। वहीं इस संगठन के कई देश खुले तौर पर भारत के साथ हैं और कश्मीर को उन्होंने पूरी तरह से आंतरिक मसला कहकर पाकिस्तान को अलग थलग कर दिया है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि पाकिस्तान जिनसे आस लगाए बैठा है वो एक मंच पर कैसे आएंगे? 

पहले से खफा सऊदी प्रिंस 

मालूम हो कि सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इमरान खान से पहले से ही खफा है, अब इमरान दुबारा से उनसे मिलकर नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं। इमरान सऊदी प्रिंस के चार्टर्ड प्लेन से ही UNGA की मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए गए थे, इसी मीटिंग के बाद प्रिंस ने इमरान से अपना ये चार्टर्ड प्लेन वापस मंगा लिया था। भारत के साथ सऊदी अरब के रिश्ते बेहतर है, वो अपने यहां के सर्वोच्च सम्मान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मानित कर चुके हैं। अब इमरान सऊदी प्रिंस को साथ लेकर भारत पर दबाव बनाना चाह रहे हैं।  

ये भी पढ़ें:- सऊदी क्राउन प्रिंस की नाराजगी और विपक्ष के होने वाले प्रदर्शन से हिल गई है इमरान की सियासी जमीन 

जानें- ब्रिटेन का Moon Rover भारत के Lander Vikram से कितना है अलग, चांद पर भेजने की तैयारी 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.