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अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता कल, जमीन पुख्ता करने को इमरान पहुंचे

29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में होने वाले शांति समझौते पर हस्ताक्षर के सयम इमरान खान मौजूद नहीं होंगे।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 11:21 AM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 11:21 AM (IST)
अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता कल, जमीन पुख्ता करने को इमरान पहुंचे
अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता कल, जमीन पुख्ता करने को इमरान पहुंचे

इस्लामाबाद, प्रेट्र। अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते के लिए मंच तैयार है। अफगानिस्तान में करीब दो दशकों से जारी हिंसा को रोकने के लिए शनिवार को खाड़ी देश कतर की राजधानी दोहा में समझौते पर दस्तखत होंगे। इस समझौते से अफगानिस्तान में मौजूद 14 हजार अमेरिकी सैनिकों की वापसी संभव हो सकेगी। पाकिस्तान इस समझौते में प्रमुख पक्ष है। इसलिए प्रधानमंत्री इमरान खान गुरुवार को कतर पहुंच गए।

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दोहा में कतर के अमीर (सत्ता प्रमुख) शेख तमीम बिन हामद अल-थानी से मुलाकात भी हुई है। इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने अपने नेता की कतर के अमीर से मुलाकात का वीडियो जारी करते हुए ट्वीट से इसकी सूचना दी है। इससे पहले पाकिस्तान के विदेश विभाग ने इमरान की कतर यात्रा के संबंध में कहा था कि इससे दोनों देशों के संबंध मजबूत होंगे और क्षेत्रीय विकास के लिए सहयोग बढ़ेगा।

2018 के बाद इमरान की प्रधानमंत्री के रूप में यह दूसरी कतर यात्रा है। इसके जवाब में कतर के अमीर जून 2019 में पाकिस्तान आए थे और तब दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में निवेश के समझौते हुए थे। अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता शनिवार को होना प्रस्तावित है। इससे पहले इमरान का कतर दौरा काफी महत्वपूर्ण है। कतर ने अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता को मान्यता दे रखी थी और दोहा में तालिबान का राजनीतिक कार्यालय अभी भी काम कर रहा है।

कतर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को शांति समझौते के मौके पर आयोजित होने वाले समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत दौरे में कहा था कि तालिबान के साथ होने वाले शांति समझौते को भारी समर्थन मिल रहा है। ट्रंप की यह टिप्पणी अफगानिस्तान में तालिबान की ओर से जारी हिंसा में कमी होने पर आई थी। अफगानिस्तान में दो दशकों से जारी हिंसा में दसियों हजार लोग मारे जा चुके हैं और 25 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित होकर देश छोड़ चुके है। अफगानिस्तान बर्बादी के कगार पर पहुंच चुका है।

ट्रंप ने रद की थी वार्ता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गत सितंबर में तालिबान के साथ शांति वार्ता रद कर दी थी, तब दोनों पक्ष समझौते के बेहद करीब थे। अमेरिका और तालिबान के बीच पिछले साल दिसंबर से दोहा में शांति वार्ता चल रही थी। लेकिन तालिबान की ओर से अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के एक-एक नागरिकों की रिहाई के बाद गत नवंबर में शांति वार्ता दोबारा पटरी पर आई।

दस सालों में एक लाख से ज्‍यादा लोगों की मौत

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान में पिछले दस वर्षो के दौरान एक लाख से ज्यादा नागरिक मारे गए या घायल हुए। यह रिपोर्ट अफगानिस्तान स्थित यूएन मिशन की ओर से जारी की गई है। अफगानिस्तान में पिछले 19 साल से खूनी संघर्ष जारी है। यूएन रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में अफगानिस्तान में 3,493 नागरिकों की मौत हुई और करीब सात हजार घायल हुए थे।


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