इमरान खान के बदले सुर, बोले- क्षेत्रीय सहयोग की ताकत में यकीन रखता है पाकिस्तान
कश्मीर मसले पर विश्व समुदाय के जवाब से मुंह की खाए इमरान खान ने कहा है कि क्षेत्रीय विकास के मामले में पाकिस्तान क्षेत्रीय सहयोग की ताकत में यकीन रखता है।
इस्लामाबाद, पीटीआइ। कश्मीर मसले पर विश्व समुदाय के जवाब से मुंह की खाए इमरान खान के सुर बदलते दिखाई दे रहे हैं। इमरान खान ने कहा है कि क्षेत्रीय विकास के मामले में पाकिस्तान क्षेत्रीय सहयोग की ताकत में यकीन रखता है। इमरान ने रविवार को 35वें दक्षेस घोषणा-पत्र दिवस (35th SAARC Charter Day) पर अपने संदेश में यह बात कही। सनद रहे कि इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से इमरान ने परमाणु जंग की धमकी दी थी।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि नतीजा देने वाला क्षेत्रीय सहयोग दक्षेस के घोषणा-पत्र में निहित सिद्धांतों के अनुपालन से ही हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आठ दिसंबर ही वह दिन है जब नेताओं ने दूरदर्शिता के साथ दक्षेस घोषणा-पत्र को अपनाया था। नेताओं ने दक्षिण एशिया की प्रगति और खुशहाली के लिए मिलकर काम करने का संकल्प व्यक्त किया था।
इमरान ने यह भी कहा कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। हमसे अपेक्षाएं हैं कि हम गरीबी, अशिक्षा और अधूरे विकास की समस्याओं का निदान करेंगे। पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विकास में क्षेत्रीय सहयोग की ताकत में यकीन करता है। पाकिस्तानी विदेश विभाग ने इमरान के बयान का हवाला देते हुए उक्त बातें कही हैं।
इससे पहले सितंबर महीने में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से एटमी युद्ध की गीदड़ भभकी दी थी। इमरान ने तब कहा था कि यदि भारत और पाकिस्तान परमाणु युद्ध की ओर बढ़ते हैं तो संयुक्त राष्ट्र इसका जिम्मेदार होगा। दरअसल, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तानी हुक्मरानों में भारी बौखलाहट देखी गई थी। तब इमरान ने वैश्विक ताकतों का समर्थन जुटाने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई थी।
बता दें कि हर साल आठ दिसंबर को दक्षेस घोषणा-पत्र दिवस मनाया जाता है। ढाका में आठ दिसंबर 1985 को सार्क के पहले शिखर सम्मेलन में दक्षिण एशिया के सात देशों (मालदीव, भारत, भूटान, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका) इसकी स्थापना को लेकर एक घोषणा-पत्र पर दस्तखत किए थे। अफगानिस्तान साल 2007 में सार्क का आठवां सदस्य राष्ट्र बना था।