इमरान खान को पाकिस्तान के साथ अमेरिका और भारत जैसे रिश्ते की दरकार
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने याद किया कि एक समय क्षेत्र में पाकिस्तान के अमेरिका के साथ सबसे अच्छे रिश्ते थे यहां तक कि अमेरिका-भारत के रिश्तों से भी बेहतर। पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में पूरी ताकत से उसके साथ था।
इस्लामाबाद, न्यूयॉर्क टाइम्स। कौआ अब हंस जैसा दिखना चाह रहा है। दशकों से आतंकियों को पनाह देने वाला पाकिस्तान अब अमेरिका के साथ इज्जतदार और बराबरी वाले रिश्ते की दरकार कर रहा है, वह भी भारत जैसे। यह दरकार खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने की है। कहा है कि उनका देश अमेरिका के साथ सभ्यतापूर्ण बराबरी वाले रिश्ते चाहता है। जैसे रिश्ते अमेरिका के ब्रिटेन और भारत के साथ हैं।
अफगानिस्तान पर सौदेबाजी की कोशिश
इमरान ने यह बात कहकर अफगानिस्तान के मसले पर अमेरिका के साथ सौदेबाजी की कोशिश की है। विशेष साक्षात्कार में इमरान ने कहा, पाकिस्तान क्षेत्र में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। ऐसी ही भूमिका वह अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज हटने के बाद निभाएगा। इमरान ने भारत के साथ संबंधों को पटरी पर लाने के लिए अपनी ओर से की गई पहल पर कोई प्रगति न होने पर निराशा व्यक्त की। कहा कि उन्होंने दोनों देशों के बीच वार्ता शुरू करने की पहल नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद अगस्त 2018 में की थी। इमरान के साथ यह साक्षात्कार तब चल रहा था जब अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मिल रहे थे।
कहा, पाकिस्तान के साथ भी हो बराबरी वाला रिश्ता
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने याद किया कि एक समय क्षेत्र में पाकिस्तान के अमेरिका के साथ सबसे अच्छे रिश्ते थे, यहां तक कि अमेरिका-भारत के रिश्तों से भी बेहतर। पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में पूरी ताकत से उसके साथ था। अब जबकि अमेरिका अफगानिस्तान को छोड़ रहा है तब पाकिस्तान अमेरिका के साथ सभ्यतापूर्ण और बराबरी वाला रिश्ता चाहता है, जैसा कि दो संप्रभु राष्ट्रों के बीच होता है। सभ्यतापूर्ण रिश्तों की परिभाषा स्पष्ट करते हुए इमरान ने कहा, पाकिस्तान के साथ भी अमेरिका के वैसे ही रिश्ते बनें, जैसे कि इस समय अमेरिका और ब्रिटेन के बीच हैं या अमेरिका और भारत के बीच हैं। ऐसे रिश्ते में दोनों देशों का दर्जा बराबरी वाला होता है।
अमेरिका का साथ देने की पाकिस्तान को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, दुर्भाग्य से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते एकतरफा जैसे रहे। ऐसा इसलिए था क्योंकि अमेरिका को लगता था कि वह पाकिस्तान को आर्थिक मदद देता है, इसलिए पाकिस्तान उसके साथ चलेगा। लेकिन अमेरिका का साथ देने की पाकिस्तान को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। पाकिस्तान के 70 हजार लोग मारे गए और 150 अरब डॉलर की पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई। क्योंकि पूरे पाकिस्तान में आत्मघाती हमले और बम विस्फोट हुए।
अमेरिका और पाकिस्तान के बीच अविश्वास की गहरी खाई हमेशा बनी रही
एकतरफा संबंधों पर इमरान ने कहा, इसके लिए उस समय की पाकिस्तानी सरकारें भी जिम्मेदार थीं। उन्होंने कभी बराबरी के रिश्तों के बारे में सोचा ही नहीं। वे खुद अमेरिका के साथ ऐसे रिश्ते के काबिल ही नहीं मानती थीं। दोनों देशों के बीच अविश्वास की गहरी खाई हमेशा बनी रही। इस संबंध का पाकिस्तान को भारी खामियाजा उठाना पड़ा, जबकि अमेरिका हमेशा यही समझता रहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा। इमरान ने कहा, अब उनकी सरकार अमेरिका के साथ विश्वास पर आधारित आपसी हितों वाले संबंध चाहती है। इसमें अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता का मसला भी शामिल रहेगा।