IMF On Pakistan: आइएमएफ ने कर्ज सुविधा बहाली को पाकिस्तान के सामने रखीं कड़ी शर्ते
IMF On Pakistan आइएमएफ ने छह अरब डालर की कर्ज सुविधा की बहाली के लिए तंगहाल पाकिस्तान के सामने कड़ी शर्तें रख दी हैं...जिसमें बिजली बिल की दरों को बढ़ाना और पेट्रोलियम उत्पादों पर लेवी लगाना आदि शामिल हैं...
इस्लामाबाद, प्रेट्र। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने छह अरब डालर की कर्ज सुविधा की बहाली के लिए खस्ताहाल पाकिस्तान के सामने कड़ी शर्तें रख दी हैं। इनमें बिजली बिल की दरें बढ़ाना और पेट्रोलियम उत्पादों पर लेवी लगाना आदि शामिल है। आइएमएफ ने ये शर्ते ऐसे समय में लगाई हैं, जब पाकिस्तान ने कर्ज हासिल करने के लिए कुछ ही दिनों पहले उसके साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। पाकिस्तानी मीडिया में बुधवार को आई रिपोर्ट के मुताबिक, आइएमएफ ने पाकिस्तान से भ्रष्टाचार रोधी कार्यबल भी गठित करने को कहा है। यह कार्यबल सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए मौजूद कानूनों की समीक्षा करेगा।
समाचार पत्र डान ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इन शतरें के अनुपालन के बाद आइएमएफ कर्ज को मंजूरी देने व कार्यक्रम को बहाल करने के पाकिस्तान के आग्रह को कार्यकारी निदेशक मंडल के समक्ष पेश करेगा। इस प्रक्रिया में एक महीना और लग सकता है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, आइएमएफ की शर्तो के अनुरूप सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर 50 रुपये प्रति लीटर की दर से कर लगाने पर विचार कर रही है, ताकि 855 अरब डालर की राशि जुटाई जा सके।
सरकार तेल के मूल्य निर्धारण में अपनी भूमिका भी समाप्त करने जा रही है और इन फैसलों के अनुमोदन के लिए उसने बुधवार को नेशनल असेंबली में प्रस्ताव रखा है, ताकि पेट्रोलियम उत्पाद (पेट्रोलियम लेवी) अधिनियम-1961 में संशोधन किया जा सके।इसमें सरकार ने हाई स्पीड डीजल, हाई आक्टैन ब्लेंडिंग कंपोनेंट्स (एचओबीसी), ई-10 गैसोलीन, सुपीरियर केरोसिन आयल व लाइट डीजल पर 50 रुपये प्रति लीटर की लेवी लगाने का प्रस्ताव दिया है।
प्रस्ताव में तरल पेट्रोलियम गैस पर प्रति टन 30 हजार रुपये लेवी लगाने की बात भी कही गई है। पाकिस्तान ने 22 जून को अपने रुके हुए छह अरब डालर के सहायता पैकेज की बहाली और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्त्रोतों से कर्ज हासिल करने का रास्ता खोलने के लिए आइएमएफ के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया था। खस्ताहाल पाकिस्तान में महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से कम होता जा रहा है।