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पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरीस अगवा, ICJ ने कहा दर्ज करो एफआइआर

इदरीस खट्टक के अपहरण के मामले में आइसीजे ने पाकिस्तान के अधिकारियों को एफआइआर दर्ज करने के लिए कहा है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 04:05 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 04:31 PM (IST)
पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरीस अगवा, ICJ ने कहा दर्ज करो एफआइआर
पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरीस अगवा, ICJ ने कहा दर्ज करो एफआइआर

पेशावर, एएनआइ। मानवाधिकार कार्यकर्ता इदरीस खट्टक के अपहरण के मामले में इंटरनेशनल कमीशन फॉर ज्यूरिस्ट (आइसीजे) ने पाकिस्तान के अधिकारियों को एफआइआर दर्ज करने के लिए कहा है। आइसीजे एक गैर सरकारी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है।

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जिबरान नासिर नामक एक नेता ने ट्वीट के जरिये बताया कि इदरीस को खुफिया एजेंसियों ने गत 13 नवंबर को पख्तूनख्वा प्रांत में इस्लामाबाद-पेशावर हाईवे से अगवा कर लिया था। उनके ड्राइवर को भी अगवा किया गया था, लेकिन उसे तीन दिन पहले छोड़ दिया गया।

ह्यूमन राइट्स वाच के साथ काम कर चुके हैं इदरीस

इदरीस एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वाच के साथ काम कर चुके हैं। उनके ड्राइवर ने अनबर पुलिस स्टेशन में दी अपनी शिकायत में कहा है कि इदरीस जब अकोरा खट्टक गांव से स्वाबी जा रहे थे तभी चार अज्ञात लोगों ने कार रोकी और उनका अपहरण कर लिया। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी इदरीस को खोज निकालने की मांग करते हुए कहा कि उनका छात्र जीवन से प्रगतिशील राजनीति से जुड़ाव रहा है।

पांच हजार से ज्यादा केस दर्ज

पाकिस्तान सरकार की ओर गठित जांच आयोग के अनुसार, साल 2014 से पांच हजार से ज्यादा अपहरण के मामले दर्ज किए गए हैं। ज्यादातर मामले आज तक अनसुलझे हैं।

अकेले बलूचिस्तान में 20 हजार लोगों का अपहरण

वहीं, स्वतंत्र स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के सरकार के आंकड़े को बहुत कम बताया है। उन्होंने कहा है कि यह आंकड़ा कहीं ज्यादा है। बलूचिस्तान में अकेले लगभग 20 हजार लोगों का अपहरण किया गया है, जिसमें से 2,500 से अधिक लोग मारे गए हैं, उनके शरीर पर गोलियों के निशान थे, जो अत्यधिक यातना के लक्षण हैं।

पाकिस्तान की आलोचना 

अंतरराष्ट्रीय निकायों और स्थानीय मानवाधिकार संगठनों द्वारा लोगों के गायब होने और असाधारण हत्याओं के मुद्दे को लेकर लंबे समय से पाकिस्तान की आलोचना की जाती रही है। सितंबर में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उत्पीड़न से परेशान होकर मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालाई इस्लामिल ने पाकिस्तान छोड़कर अमेरिका से शरण मांगी थी।


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