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पाकिस्तान में ईसाइयों का भारी उत्‍पीड़न, अल्‍पसंख्‍यकों के रहने लायक नहीं है पड़ोसी देश

2021 की रिपोर्ट में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के होने वाले उत्पी़ड़न का उल्लेख किया गया है। कहा गया है कि सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरियों में ईसाइयों की संख्या बहुत कम है उन्हें गंदगी के बीच रहना होता है और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार होता है।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 08:14 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 09:34 PM (IST)
पाकिस्तान में ईसाइयों का भारी उत्‍पीड़न, अल्‍पसंख्‍यकों के रहने लायक नहीं है पड़ोसी देश
ईसाइयों के उत्पी़ड़न के संबंध में जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट

 नई दिल्ली, एजेंसी। ईसाई समुदाय पाकिस्तान में भारी उत्‍पीड़न झेल रहा है। जीवन के हर क्षेत्र में उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यह बात ईसाइयों के उत्‍पीड़न के संबंध में जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट में कही गई है। ईसाइयों के खिलाफ उत्पी़ड़नात्मक कार्रवाई करने वाले 50 देशों में पाकिस्तान शीर्ष पांच में शामिल है। वह पांचवें स्थान पर है। इन सभी देशों में धर्म के आधार पर ईसाइयों का उत्पी़ड़न होता है।

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 अमेरिका की वैश्विक संस्था का आकलन

व‌र्ल्ड वाच लिस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि जो लोग इस्लाम धर्म छो़ड़कर ईसाई बने हैं, पाकिस्तान में उनका सर्वाधिक उत्‍पीड़न हो रहा है। जबकि बाकी के ईसाई पाकिस्तान में दोयम दर्जे के नागरिक का जीवन जी रहे हैं। रिपोर्ट में पाकिस्तान को कट्टर इस्लामी देश बताया गया है। ईसाइयों का  उत्‍पीड़न करने वालों देशों की यह सूची ईसाइयों की स्थिति पर कार्य करने वाली अमेरिका की ओपेन डोर्स नाम की संस्था तैयार करती है।

संस्था की रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष जनवरी में जारी की जाती है। इसमें ओपेन डोर्स के दुनिया भर में कार्यरत कार्यकर्ताओं की सूचनाओं और आंकड़ों का उल्लेख होता है। ये कार्यकर्ता ईसाइयों के उत्पी़ड़न  की घटनाओं और उनके स्तर का आकलन करते हैं। ये कार्यकर्ता पांच बिंदुओं पर उत्पी़ड़न के स्तर का आकलन करते हैं। इनमें ईसाइयों के खिलाफ होने वाली हिंसक घटनाएं भी शामिल हैं।

धार्मिक आधार पर सर्वाधिक उत्पी़ड़न करने वाला देश

2021 की रिपोर्ट में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के होने वाले उत्पी़ड़न का खासतौर पर उल्लेख किया गया है। कहा गया है कि सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरियों में ईसाइयों की संख्या बहुत कम है, उन्हें गंदगी के बीच रहना होता है और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार होता है। पाकिस्तान में ईसाई जहां भी नौकरी करते हैं वहां पर उनके साथ बंधुआ मजदूर की तरह व्यवहार किया जाता है।

कुछ ईसाई लोग मध्यम वर्ग में हैं लेकिन उनका स्तर उसी वर्ग के मुस्लिमों से नीचे का है। उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में कम करके आंका जाता है। उन्हें पढ़ने, रहने के स्थान से लेकर कार्यस्थल तक पर लगातार उत्पी़ड़न झेलना पड़ता  है। दुनिया में ईसाइयों के लिए जो सबसे बुरे स्थान हैं, उनमें पाकिस्तान एक है। यहां पर अल्पसंख्यकों को अक्सर हिंसक उत्पी़ड़न भी झेलना पड़ता है। ईसाई लड़कियों के अपहरण और उनके साथ दुष्कर्म का खतरा हमेशा बना रहता है। ईशनिंदा कानून के उल्लंघन की तलवार हमेशा लटकी रहती है। यहां पर गिरजाघरों की हालत भी खराब है।

हिंदू आबादी का बुरी तरह उत्‍पीड़न

पाकिस्तान में यह स्थिति सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ है। हिंदू अल्पसंख्यक भी ऐसा ही उत्‍पीड़न झेल रहे हैं जबकि सिंध प्रांत के उमरकोट, घोटकी और थडपारकर जिलों में उनकी अच्छी-खासी आबादी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में धर्म के आधार पर ही नागरिकों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। गरीब अल्पसंख्यक भी सरकारी लाभों से वंचित रखे जाते हैं।


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