Hafiz Saeed: एफआइआर रद कराने गए सईद की अर्जी हाई कोर्ट में खारिज, कल इस मामले में होगी सुनवाई
आरोप है कि आतंकी हाफिज सईद और उसके सहयोगी लोगों ने दोनों संस्थाओं की संपत्ति का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया।
लाहौर, प्रेट्र। लाहौर हाई कोर्ट ने गुरुवार को मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद उसके 67 सहयोगियों की अपने खिलाफ दर्ज एफआइआर रद करने की याचिका खारिज कर दी। मामला गैरकानूनी घोषित हो चुके संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत से संबंधित है। इसमें सईद और उसके सहयोगियों ने अपने खिलाफ दर्ज 23 प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआइआर) को रद करने की मांग की थी। आरोप है कि सईद और उसके सहयोगी लोगों ने दोनों संस्थाओं की संपत्ति का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया।
हाई कोर्ट की जस्टिस मुहम्मद कासिम खान अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने सईद और उसके सहयोगियों की याचिका का निपटारा किया। आदेश दिया कि अब प्रत्येक एफआइआर रद करने के लिए अलग-अलग प्रार्थना पत्र दिया जाए। इस दौरान सईद के वकील एके डोगर ने कहा, जमाद उद दावा और फलाह ए इंसानियत की किसी भी संपत्ति का इस्तेमाल आतंकी कार्यो के लिए नहीं हुआ। अभियोजन की ओर से उनके मुवक्किल पर यह गलत आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सईद और उसके कुछ साथी नेताओं का आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुडे़ होने का दावा तथ्यात्मक और कानूनी रूप से गलत है। सईद और उसके साथी किसी तरह की आतंकी गतिविधियों में कभी भी शामिल नहीं रहे।
आतंकियों को धन मुहैया कराने पर आज होगी सुनवाई
मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और उसके तीन सहयोगियों की गुरुवार को वकीलों की हड़ताल के चलते आतंकवाद निरोधी अदालत में पेशी नहीं हो सकी। मामले की सुनवाई अब शुक्रवार को होगी। सईद और उसके सहयोगियों की आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के मामले में पेशी होनी थी। इस मामले में अदालत ने बुधवार को सईद और उसके सहयोगियों- हाफिज अब्दुल सलाम बिन मुहम्मद, मुहम्मद अशरफ और जफर इकबाल पर आरोप तय कर दिए थे। अब मामले में गवाह और सुबूत पेश होंगे। लाहौर की अदालत के वकील अपने साथी के साथ अस्पताल में हुई घटना के विरोध में हड़ताल पर थे।