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फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर संगठन के आतंकियों, पाकिस्‍तान सरकार से रिश्ते, दो अमेरिकी पत्रकारों ने किया उजागर

पाकिस्‍तान भारत को अस्थिर करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता है। उसका चेहरा एकबार और बेनकाब हो गया है। अमेरिका स्थित भारत विरोधी संगठन फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर का प्रतिबंधित इस्लामिक आतंकी समूहों और पाकिस्तान सरकार से सक्रिय संबंध उजागर हुए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 29 May 2021 07:27 PM (IST)Updated: Sat, 29 May 2021 11:56 PM (IST)
फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर संगठन के आतंकियों, पाकिस्‍तान सरकार से रिश्ते, दो अमेरिकी पत्रकारों ने किया उजागर
फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर के प्रतिबंधित इस्लामिक आतंकी समूहों और पाकिस्तान सरकार से संबंध उजागर हुए हैं।

वाशिंगटन, आइएएनएस। पाकिस्‍तान भारत को अस्थिर करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता है। उसका चेहरा एकबार और बेनकाब हो गया है। अमेरिका स्थित भारत विरोधी संगठन फ्रेंड्स ऑफ कश्मीर का प्रतिबंधित इस्लामिक आतंकी समूहों और पाकिस्तान सरकार से सक्रिय संबंध है। मिड्ल ईस्ट फोरम से जुड़े पत्रकारों-सैम वेस्ट्राप और मार्था ली ने पाकिस्तान सरकार और अमेरिकी सांसदों के टेक्सास स्थित संगठन फ्रेंड्स आफ कश्मीर के साथ रिश्तों को उजागर किया है।

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इस तरह काम करती है पाकिस्तान सरकार

इन लेखकों की संयुक्त जांच ने इस बात को उजागर किया है कि किस तरह पाकिस्तान सरकार कश्मीर स्थित आतंकी संगठनों, प्रवासी पाकिस्तानियों और अमेरिकी लाबी के जरिये अपने प्रभाव का इस्तेमाल करती है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल पांच अगस्त को फ्रेंड्स आफ कश्मीर और इसकी पाकिस्तान समर्थक प्रमुख गजाला हबीब ने पाकिस्तानी दूतावास और ह्यूस्टन स्थित इसके वाणिज्य दूतावास की मदद से कश्मीर पर आनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया था।

वक्ताओं में ये रहे शामिल 

वेबिनार के वक्ताओं में यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस पाकिस्तान काकस के दो सह अध्यक्ष, गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति, अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत और ह्यूस्टन स्थित वाणिज्य दूतावास के वाणिज्य दूत शामिल थे। अन्य वक्ताओं में सांसद एडी बर्निक जानसन, टेक्सास विधानसभा के सदस्य रान रिनाल्ड्स और टेरी मेजा शामिल थीं।

पाकिस्‍तान में हुआ प्रसारण 

वेबिनार का मकसद कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा शुरू किए गए दुष्प्रचार में उनका साथ देना था। इंटरनेट मीडिया और अमेरिकी पाकिस्तानी टीवी चैनल टीवी वन यूएसए पर इसका प्रसारण भी किया गया।

पाक की यह चाल हुई नाकाम 

इस बीच पाकिस्तान नवंबर 2018 में कराची स्थित चीन के वाणिज्य दूतावास पर हमले से जुड़े एक मामले में भारत का हाथ साबित नहीं कर सका है। एंटी टेरोरिज्म कोर्ट (एटीसी) पाकिस्तान ने अभियोजन पक्ष द्वारा बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के संदिग्ध सदस्यों के खिलाफ अभियोजन पक्ष द्वारा गवाह पेश करने में नाकाम रहने पर नाखुशी का इजहार किया। 

लगाए यह आरोप 

इस मामले में दाखिल आरोपपत्र में कहा गया है कि बीएलए ने भारतीय खुफिया एजेंसी रा की मिलीभगत से चीन के वाणिज्य दूतावास पर हमला किया। इसका मकसद चीन और पाकिस्तान के रिश्तों को नुकसान पहुंचाना और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना में बाधा डालना था। एटीसी-7 के जज ने इस मामले में जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई के दौरान सात जुलाई को शिकायतकर्ता का अदालत में उपस्थित रहना सुनिश्चित करें। 


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