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पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दशा खराब, गैर मुस्लिमों का जबरन कराया जा रहा धर्मातरण

अमेरिका ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दशा पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में गैर मुस्लिमों के जबरन धर्मातरण और उन पर हो रहे अत्याचार का जिक्र किया गया है।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 09:31 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2019 07:10 AM (IST)
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दशा खराब, गैर मुस्लिमों का जबरन कराया जा रहा धर्मातरण

इस्लामाबाद, आइएएनएस। अमेरिका ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दशा पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में गैर मुस्लिमों के जबरन धर्मातरण और उन पर हो रहे अत्याचार का जिक्र किया गया है। यह रिपोर्ट सामने आने पर पाकिस्तान की बौखलाहट दिखी है। उसने इस रिपोर्ट को बेबुनियाद और पक्षपातपूर्ण करार दिया है।

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अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में पाकिस्तान में धार्मिक आजादी की स्थिति को लेकर आमतौर पर नकारात्मक रुझान देखने को मिला। पूरे साल के दौरान कट्टरपंथी समूह और खुद को सामाजिक ठेकेदार समझने वाले लोग अल्पसंख्यक समुदायों हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, अहमदी और शिया मुस्लिमों पर धर्म परिवर्तन के लिए जुल्म करते रहे।

रिपोर्ट के निष्कर्षो से यह जाहिर होता है कि पाकिस्तान की सरकार इन समुदायों का पर्याप्त रूप से रक्षा करने में विफल रही। सरकार ने सुनियोजित तौर पर चल रहे धार्मिक आजादी के उल्लंघन को बढ़ावा दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मुल्क में सख्त ईशनिंदा कानून को थोपे जाने के नतीजन गैर मुस्लिमों खासकर हिंदुओं, शिया मुस्लिमों और अहमदियों के अधिकारों का दमन जारी है। ¨हदू विवाह अधिनियम के पारित होने के बावजूद गैर मुस्लिमों का जबरन धर्मातरण भी लगातार हो रहा है।


पाक को सीपीसी में डालने की सिफारिश
USCIRF ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत पाकिस्तान को 'कंट्री ऑफ पार्टिकुलर कंसर्न' या सीपीसी सूची में डालने की सिफारिश की है। इस सूची में अमेरिका उन देशों को रखता है, जिनके यहां धार्मिक आजादी की दशा गंभीर होती है।

खारिज की अमेरिकी रिपोर्ट
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में अमेरिकी रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा, 'यह निराधार और पक्षपात पूर्ण बयानों का संग्रह है। पाकिस्तान इस तरह की रिपोर्ट का समर्थन नहीं करता। पाकिस्तान का मानना है कि सभी देश धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के साथ ही राष्ट्रीय कानन और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के तहत अपने नागरिकों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'


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