आतंकी वित्तपोषण के मामले में FATF करेगा पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा
एफएटीएफ की जून होने वाली बैठक में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के मामले में पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगा।
इस्लामाबाद, एजेंसी। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की जून होने वाली बैठक में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के मामले में पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगा। यह बैठक चीन के बीजिंग में होगी। एक सरकारी अधिकारी ने कहा 21-26 जून को एफएटीएफ की बैठक बीजिंग में होगी। इस बैठक में दुनिया की नजर पाकिस्तान पर होगी। एक अधिकारी ने डॉन न्यूज को बताया बीजिंग में एफएटीएफ और यूरेशियन ग्रुप (ईएजी) की संयुक्त बैठक में पाकिस्तान की समीक्षा की जाएगी। इस बैठक में एफएटीएफ यह तय करेगा कि पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखा जाए या नहीं।
फरवरी में पेरिस में एफएटीएफ का पूर्ण सत्र की बैठक में जताया गया असंतोष
फरवरी 2020 में पेरिस में एफएटीएफ का पूर्ण सत्र की बैठक में पाकिस्तान को लेकर बड़ा फैसला सुनाया गया था। इस पूरे सत्र में पाकिस्तान ही मुख्य एजेंडे में था। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला किया गया था। इस दौरान आतंकी फंडिंग को लेकर पाकिस्तान को एफएटीएफ की निगरानी सूची में बनाए रखने को कहा गया था। गौरतलब है कि आतंकी फंडिंग समेत काले धन का प्रवाह रोकने के लिए पूरे विश्व में एक समान नियम कानून बनाने के लिए बनाई गई संस्था एफएटीएफ की पेरिस में बैठक हुई थी।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को सिर्फ चार महीने की मोहलत दी थी, लेकिन इसके साथ कहा है कि अगर पाकिस्तान ने जून 2020 तक आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए बताए गए कदम नहीं उठाए तो उसे ब्लैकलिस्ट यानि प्रतिबंधित सूची में डाला जा सकता है। फिलहाल पाकिस्तान, एफएटीएफ की निगरानी सूची में शामिल है और एफएटीएफ ने 2018 में ही पाकिस्तान को 27 कार्यों की एक सूची सौंपी थी। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट पर बने रहने की संभावना प्रबल है। ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग वॉच डॉग द्वारा दी गई 27 सूत्रीय कार्य योजना को पूरी तरह से लागू करने के लिए पाकिस्तान को अक्टूबर तक का समय देने पर सहमति बनी थी।
तुर्की के अलावा किसी देश का समर्थन नहीं मिला
एफएटीएफ की इस बैठक में हिस्सा ले रहे कूटनीतिक सूत्रों ने बताया था कि एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को तुर्की के अलावा अन्य किसी भी देश से साफ तौर पर समर्थन नहीं मिला था। यहां तक कि उसके सदाबहार दोस्त चीन ने भी इस बार उसका साथ छोड़ दिया था। मोटे तौर पर सदस्य देशों में यह आम राय थी कि आतंकी गतिविधियों तक फंड प्रवाह रोकने का खतरा पाकिस्तान में पूरी तरह से बना हुआ है। पाकिस्तान सरकार के समक्ष जो 27 काम टास्क फोर्स की तरफ से दिए गए थे उसमें से आधे पर भी ठीक तरह से काम नहीं हुआ है। ऐसे में उसे कहा गया है कि वह जून, 2020 तक बाकी सभी काम पूरा करे। अगर तय समय सीमा में ऐसा नहीं होता है तो एफएटीएफ उचित कार्रवाई करेगा।