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डूरंड रेखा विवाद: पाकिस्तान के लिए चुनौती बनता जा रहा है तालिबान, इस रिपोर्ट ने बढ़ाई इमरान की चिंता

जब अफगानिस्तान में तालिबान का राज लौटा था तो पाकिस्तान ने डूरंड रेखा के मुद्दे के शांत होने की उम्मीद की जताई थी। इसी वजह से पाकिस्तानी नेतृत्व ने अफगान तालिबान का समर्थन किया था। लेकिन डूरंड रेखा को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव ज्यादा ही बढ़ गया है।

By Mohd FaisalEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 12:08 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 12:53 PM (IST)
डूरंड रेखा विवाद: पाकिस्तान के लिए चुनौती बनता जा रहा है तालिबान, इस रिपोर्ट ने बढ़ाई इमरान की चिंता
डूरंड रेखा विवाद पाकिस्तान अफगानिस्तान फोटो: एएनआई

इस्लामाबाद, एएनआइ: पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर डूरंड रेखा विवाद का मामला लगातार बढ़ता ही जा रहा है। डूरंड रेखा को लेकर दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, जब अफगानिस्तान में तालिबान का राज लौटा था, तो पाकिस्तान ने डूरंड रेखा के मुद्दे के शांत होने की उम्मीद की जताई थी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से आतंकवादी हमले की चेतावनी के बावजूद पाकिस्तानी नेतृत्व ने अफगान तालिबान का समर्थन किया था। लेकिन डूरंड रेखा को लेकर दोनों देशों के बीच पिछले कुछ दिनों में तनाव ज्यादा ही बढ़ गया है।

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वर्चुअल थिंक-टैंक ग्लोबल स्ट्रैट व्यू के संपादकीय अंश में कहा गया है कि, इसका खामियाजा अब पाकिस्तान को भुगतना पड़ रहा है। जब तालिबान राजनीतिक रूप से खुद को अफगानिस्तान में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। डूरंड रेखा के मुद्दे ने उस वक्त तूल पकड़ लिया। जब तालिबान ने पाकिस्तान की सेना द्वारा डूरंड रेखा पर लगाए गए बाड़े को तहस-नहस कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा पर मौजूदा सीमा संघर्ष संभावित रूप से काबुल और इस्लामाबाद के बीच संबंधों में दरार का कारण बन सकता है।

हाल ही में, पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद युसूफ को काबुल में एक पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन के मद्देनजर अफगानिस्तान की अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी थी। यूसुफ को डूरंड रेखा पर सीमा पर बाड़ लगाने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक अंतर-मंत्रालय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए निर्धारित किया गया था।एनएसए यूसुफ को अपनी दो दिवसीय यात्रा रद्द करनी पड़ी, क्योंकि काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पाकिस्तान विरोधी की योजना बनाई गई थी।

मीडिया रिपोर्ट के विपरीत, पाकिस्तान एनएसए ने पहले कहा था कि अफगानिस्तान में तालिबान के अधिकारी पाकिस्तान के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए हुए हैं। यूसुफ ने कहा कि वे घटनाएं स्थानीय स्तर का मुद्दा था, और तालिबान सरकार की नीति से इसका कोई लेना-देना नहीं था।

बता दें कि, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ब्रिटिश काल में डूरंड रेखा खींची गई थी। अफगानिस्तान ने इस रेखा को मानने से इनकार कर दिया था। इसी सीमा पर कुछ इलाकों में पाकिस्तान की तरफ से बाड़ लगाई गई है, जिसे तालिबान समय-समय पर उखाड़ फेंकता है। डूरंड रेखा पर दिसंबर में भी तालिबान ने पाकिस्तानी बाड़ उखाड़कर फेंक दी थी।


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