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पाकिस्तानी सेना ने कहा, नहीं चाहती युद्ध

डीजी आईएसपीआर मेजर जनरल आसिफ गफूर ने रावलपिंडी मुख्यालय में कहा कि बहुत सारे मुद्दे थे जिनके बारे में मैं आज बात करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले के बाद जो स्थिति बनीं है उस पर आज विस्तृत चर्चा करूंगा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 03:53 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 04:10 PM (IST)
पाकिस्तानी सेना ने कहा, नहीं चाहती युद्ध
पाकिस्तानी सेना ने कहा, नहीं चाहती युद्ध

इस्लामाबाद, प्रेट्र। पुलवामा आतंकी हमले के बाद बढ़े तनाव के मद्देनजर पाकिस्तानी सेना ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि वो युद्ध नहीं चाहती, लेकिन भारतीय सेना ने अगर कोई आक्रामक कार्रवाई की तो उसे 'हैरत' का सामना करना पड़ेगा।

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पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आइएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'हमारा 72 साल का इतिहास है। 1947 में विभाजन हुआ था और पाकिस्तान स्वतंत्र हुआ था। भारत अभी तक इसे स्वीकार नहीं कर पाया है।' उन्होंने आगे कहा, 'हम युद्ध की तैयारी नहीं कर रहे हैं, आप (भारत) धमकी दे रहे हैं.. धमकियों का जवाब देना हमारा अधिकार है।

हम शुरू करने की तैयारी नहीं कर रहे हैं, लेकिन बचाव करने और जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं जो हमारा अधिकार है। क्या आपको पहले कोई प्रतिक्रिया देनी चाहिए, आप हमें कभी आश्चर्यचकित नहीं कर पाएंगे.. हम आपको हैरत में डाल देंगे। जब बात भारत की आती है तो पाकिस्तान की धारणा बिल्कुल स्पष्ट है। हमारी इच्छाशक्ति और निश्चय दृढ़ है।'

चेतावनी देने के अंदाज में गफूर ने कहा कि युद्ध की स्थिति में इस बार सेना का जवाब बिल्कुल अलग होगा। उन्होंने कहा, 'हम अब पहले वाली सेना नहीं रहे। युद्ध के लिए हम बेहद कठोर सेना हैं। हम अनदेखे दुश्मन के खिलाफ लड़कर जीत चुके हैं। हम हर तरह के खतरों का जवाब दे सकते हैं और मुझे उम्मीद है कि आप (भारत) पाकिस्तान से नहीं उलझेंगे।'

पानी रोकने के भारत के फैसले से चिंतित नहीं पाक
सिंधु जल समझौते के तहत मिले रावी, ब्यास और सतलज नदियों के अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकने के भारत के फैसले से पाकिस्तान कतई चिंतित नहीं है। पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव ख्वाजा शुमैल ने कहा, 'भारत अगर तीनों नदियों का पानी डायवर्ट करता है और उसकी आपूर्ति अपने लोगों को करता है या अन्य कार्यो के लिए उसका इस्तेमाल करता है तो हम न तो उससे चिंतित हैं और न ही हमें कोई आपत्ति है। सिंधु जल समझौते के तहत उसे ऐसा करने की अनुमति है।'


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