धर्म को हथियार और आतंकवाद को विदेश नीति, ऐसा है पाकिस्तान का चरित्र
पाक का दोहरा चरित्र आया सामने धर्म हथियार और आतंकवाद उसकी विदेश नीति। गुलाम कश्मीर के नेता ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने खोला कच्चा चिट्ठा। गिलगित-बाल्टिस्तान में आवाज उठाने वाले ठूंसे जा रहे जेलों में या हो रही हत्या।
जेनेवा, एएनआइ। पाकिस्तान धर्म को हथियार और आतंकवाद को विदेश नीति के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। उसका दोहरा चरित्र है और यह गुलाम कश्मीर में देखने को मिल रहा है, जहां पर नागरिकों के अधिकारों की हत्या की जा रही है। यहां नागरिकों की नियति गुलामों की तरह रहने की है, कश्मीर के इस हिस्से में स्वतंत्रता की बात करने वाले लोग मारे जा रहे हैं या जेलों में सड़ रहे हैं। यहां के नागरिकों को अब पाकिस्तान से निजात दिलाई जानी चाहिए।
गुलाम कश्मीर के संगठन यूनाइटेट पीपुल्स नेशनल पार्टी (यूकेपीएनपी) के निर्वासित अध्यक्ष शौकत अली ने जेनेवा में पत्रकार वार्ता में उपरोक्त सभी जानकारी देते हुए पाक की करतूतों का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि यहां के नागरिकों की किस्मत 1947 में उसी समय कैद होकर रह गई थी, जब पाकिस्तान ने यहां अवैध रूप से कब्जा किया था। तभी से अत्याचारों का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ,जो अनवरत जारी है।
शौकत अली ने गुलाम कश्मीर में यातनाओं का शिकार हो रहे लोगों की दास्तान को पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखा। उन्होंने कहा कि पाक धर्म और आतंकवाद के मुद्दे पर मुखौटा लगाए हुए है। उसका वास्तविक चेहरा तो गुलाम कश्मीर में देखा जा सकता है। गिलगित-बाल्टिस्तान में जनता के कोई राजनीतिक अधिकार नहीं हैं। सरकार ने नागरिकों की स्वतंत्रता छीन ली है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाप्त कर दी है। अपनी समस्याओं के लिए आवाज उठाना गुनाह हो गया है।
आम जनता की क्या बात करें, सात साल पहले गुलाम कश्मीर के नेता सरदार आरिफ शाहिद की रावलपिंडी में नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी। इस मामले को संयुक्त राष्ट्र तक में उठाने के बाद भी पाक ने न्यायिक जांच नहीं कराई और न ही हत्या में कोई कार्रवाई हुई।
गुलाम कश्मीर में नेताओं, राजनीतिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को देशद्रोह के आरोप में जेलों में डाला जा रहा है। यूकेपीएनपी ने गुलाम कश्मीर के जेलों में बंद लोगों को रिहा करने, अत्याचार को रोकने और अपहरण करने वालों पर कार्रवाई करने की मांग की है। इस संगठन ने कहा कि गुलाम कश्मीर भारत का हिस्सा है और रायशुमारी कर इसे जम्मू-कश्मीर राज्य में ही शामिल कराया जाना चाहिए।