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नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने सऊदी अरब के सामने फैलाई झोली, कर्ज के तौर मिलेंगे तीन अरब डालर

आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब से जल्द ही कर्ज के तौर पर तीन अरब डालर (22 हजार करोड़ रुपये से अधिक) मिलेंगे। प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुआई वाले मंत्रिमंडल ने यह राशि देश के सेंट्रल बैंक में रखे जाने को मंजूरी दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 07:54 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 08:02 PM (IST)
नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने सऊदी अरब के सामने फैलाई झोली, कर्ज के तौर मिलेंगे तीन अरब डालर
पाकिस्तान को सऊदी अरब से जल्द कर्ज के तौर पर तीन अरब डालर (22 हजार करोड़ रुपये से अधिक) मिलेंगे।

इस्लामाबाद, पीटीआइ। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब से जल्द ही कर्ज के तौर पर तीन अरब डालर (22 हजार करोड़ रुपये से अधिक) मिलेंगे। इस बीच, प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुआई वाले मंत्रिमंडल ने यह राशि देश के सेंट्रल बैंक में रखे जाने को मंजूरी दी है। जियो न्यूज के अनुसार, सऊदी सरकार ने स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान (एसबीपी) में तीन अरब डालर रखने का वादा किया है।

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विदेशी कर्ज चुकता करने के कारण पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा का भंडार कम हो गया है, जिससे देश नकदी संकट का सामना कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, 'एसबीपी ने सभी समझौतों को अंतिम रूप दे दिया है। अगले कुछ दिनों में यह राशि मिल जाएगी।'

प्रधानमंत्री के वित्त मामलों के सलाहकार के प्रवक्ता मुजम्मिल असलम ने बताया कि पाकिस्तान को अगले 60 दिनों में तीन स्रोतों से सात अरब डालर (52 हजार करोड़ रुपये से अधिक) मिलने की उम्मीद है।

दरअसल वित्तीय संकट झेल रहे पाकिस्तान के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने केंद्रीय बैंक से कर्ज लेने के उसके अनुरोध को खारिज कर दिया था।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के अनुसार, वाशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान (एसबीपी) की किसी भी सार्थक जवाबदेही पर सहमत नहीं था। आइएमएफ ने पाकिस्तान के एक वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के दो फीसद के बराबर ऋण लेने की अनुमति देने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

अब इमरान सरकार वाणिज्यिक बैंकों और चीन एवं दूसरे मुल्‍कों के भरोसे हैं, जिन्होंने हाल ही में नीतिगत दरों से काफी ज्यादा ब्याज दर की मांग की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) का कहना था कि केंद्रीय बैंक का लाभ संघीय सरकार को 100 फीसद हस्तांतरित नहीं किया जाएगा, जब तक कि एसबीपी को अपनी मौद्रिक देनदारियों को वापस करने के लिए कवर नहीं मिल जाता। 


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