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इमरान को चुनौती देने वाले विपक्षी नेता की जांच शुरू, भ्रष्टाचार के मामले में फजलुर रहमान को किया तलब

पाकिस्तान की इमरान सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने का नारा बुलंद करने वाले विपक्षी नेताओं पर कानूनी घेरा कसना शुरू हो गया है। देश की भ्रष्टाचार रोधी निकाय ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख फजलुर रहमान को भ्रष्टाचार के मामले में हाजिर होने को कहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 05:52 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 05:52 PM (IST)
इमरान को चुनौती देने वाले विपक्षी नेता की जांच शुरू, भ्रष्टाचार के मामले में फजलुर रहमान को किया तलब
भ्रष्टाचार रोधी निकाय ने फजलुर रहमान को हाजिर होने को कहा है।

इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान (Pakistan) की इमरान सरकार (Imran Khan) को सत्ता से उखाड़ फेंकने का नारा बुलंद करने और सर्वशक्तिमान सेना को खरी-खोटी सुनाने वाले विपक्षी नेताओं पर कानूनी घेरा कसना शुरू हो गया है। देश की भ्रष्टाचार रोधी निकाय (National Accountability Bureau, NAB) ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख फजलुर रहमान (JUI-F chief Fazlur Rehman) को भ्रष्टाचार के मामले में नोटिस जारी कर हाजिर होने के लिए कहा गया है।

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डॉन की खबर के मुताबिक, राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी)ने भ्रष्टाचार और आय के ज्ञात स्त्रोत से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोप में रहमान को नोटिस जारी किया है। रहमान को जांच में शामिल होने और अपना बयान दर्ज कराने के लिए एक अक्टूबर को तलब किया गया है।

यह नोटिस ऐसे समय में जारी किया गया है, जब प्रमुख विपक्षी दलों ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के नाम से एक नया गठबंधन बनाया है। यह गठबंधन प्रधानमंत्री इमरान खान से इस्तीफा देने और भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे उनके शीर्ष सहयोगी लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) असीम सलीम बाजवा को हटाने की मांग कर रहा है। विपक्षी गठबंधन ने अक्टूबर से इमरान सरकार के खिलाफ तीन चरणों में आंदोलन चलाने की घोषणा की है। इसके तहत दिसंबर में देशव्यापी प्रदर्शन और जनवरी 2021 में 'इस्लामाबाद मार्च' की योजना है।

रविवार को फजलुर रहमान ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि विपक्षी दल संसद में अब इमरान सरकार का सहयोग नहीं करेंगे। विपक्ष की सर्वदलीय बैठक में कहा गया कि इमरान सरकार सेना के बूते सत्ता में है। सेना ने चुनावों में धांधली कर यह सरकार जनता पर थोप दी है। बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि राजनीति में सेना की दखलंदाजी बढ़ती जा रही है, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा और संवैधानिक संस्थाओं के लिए एक खतरा है।


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