एक तरफ तंगहाल पाकिस्तान, दूसरी तरफ इमरान के विदेशी दौरों पर खर्च हो रहे करोड़ों!
पाकिस्तान के खराब होते आर्थिक हालात वहां की जनता के लिए चिंता का सबब बन चुके हैं। वहीं पीएम इमरान खान के विदेशी दौरे खत्म नहीं हो रहे हैं।
नई दिल्ली जागरण स्पेशल। पाकिस्तान के खराब होते आर्थिक हालात और वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान के लगातार हो रहे विदेशी दौरे अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा कर रहे हैं। दरअसल, पाकिस्तान पर बढ़ता कर्ज और वहां पर लगातार बेकाबू महंगाई ने आम लोगों को परेशान कर रखा है। वर्तमान में स्थानीय बाजारों में हर चीज की कीमत आसमान छू रही है। वहीं इमरान खान की बात करें तो रविवार को पश्चिम एशिया में शांति के प्रयासों को बताकर ईरान गए और मंगलवार को सऊदी अरब जा रहे हैं। प्रधानमंत्री पद पर काबिज होने के बाद उनका यह पांचवां सऊदी अरब का दौरा है। वो इस दौरे पर उस वक्त जा रहे हैं जब ब्रिटेन के प्रिंस विलियम और उनकी पत्नी पाकिस्तान के दौरे पर इस्लामाबाद पहुंचे हैं। इसके अलावा पेरिस में पाकिस्तान के भविष्य को एफएटीएफ की बैठक भी चल रही है, जिसमें पाकिस्तान को डार्क ग्रे-लिस्ट या ब्लैक लिस्ट में भी डाला जा सकता है।
अगस्त 2018 में ली थी पीएम पद की शपथ
आपको यहां पर ये भी बता दें कि इमरान खान ने 18 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद से अब तक उन्होंने 18 विदेशी दौरे किए हैं। इनमें से सबसे अधिक दौरे मुस्लिम देशों के रहे हैं। अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में उन्होंने विदेश दौरे के लिए भी सबसे पहले सऊदी अरब को ही चुना था। यह बताता है कि पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब कितना अहम है। इस दौरान उन्होंने दो बार सऊदी तो दो बार यूएई का दौरा किया। वहीं एक- एक बार वह मलेशिया और चीन की यात्रा पर गए हैं। पाकिस्तान के सरकार आंकड़ों की मानें तो 18 सितंबर-20 नवंबर तक किए गए विदेशी दौरों पर चार करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आया था। हालांकि यह खर्च पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लंदन दौरे से काफी कम है। क्योंकि नवाज के उस दौरे पर इसका करीब दोगुना पैसा खर्च हुआ था।
मुस्लिम देशों का दौरा
2019 में उन्होंने सात बार फिर मुस्लिम देशों का दौरा किया। इनमें तुर्की, कतर, यूएई, ईरान, सऊदी अरब, में किए गए उनके दौरे शामिल हैं। इनके अलावा उन्होंने किर्गीस्तान, चीन, अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और चीन का भी दौरा किया है। उनके इन सभी विदेशी दौरों में एक चीज बेहद दिलचस्प है, जिसे जानने की बेहद जरूरत है।दरअसल इमरान ने अपनी साख बढ़ाने और भारत के खिलाफ उन्हें एकजुट करने के लिए बार-बार मुस्लिम देशों की यात्रा की। लेकिन इस दौरान उन्हें कोई सफलता हासिल नहीं हो सकी।
पहले ईरान और अब सऊदी की राह
रविवार को वह ईरान पहुंचे थे। इमरान को उम्मीद थी कि उन्हें कश्मीर पर ईरान का साथ मिलेगा, जो नहीं हो सका। वहीं, अब वह सऊदी अरब जाने के उनके मकसद का जिक्र कर लेना बेहद जरूरी है। सऊदी क्राउन प्रिंस की इमरान से नाराजगी आज पूरा विश्व जान चुका है। इसके पीछे की वजह को भी पूरी दुनिया जानती है। वहीं सऊदी अरब का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को सुधारने में काफी बड़ा योगदान पहले भी रहा है और अब भी वह इसमें योगदान दे रहा है। कुछ माह पहले सऊदी अरब द्वारा अरबों डॉलर का निवेश करने का समझौता इसी तरफ इशारा करता है। इमरान 29-31 अक्टूबर 2019 को भी एक बार फिर से सऊदी अरब जाएंगे। उनका यह प्रोग्राम पहले से तय है।
समर्थन जुटाने की नाकाम कोशिश
अब जरा भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद इमरान खान के विदेश दौरों पर एक नजर डाल लेते हैं। अगस्त में भारत द्वारा लिए गए फैसले के इमरान खान दूसरे देशों को अपने पक्ष में करने की मुहिम में जुटे हुए थे। इसके तहत 18-27 सितंबर तक वह विदेशी दौरे पर अमेरिका और सऊदी अरब में रहे थे। इसी दौरान संयुक्त राष्ट्र आम सभा की बैठक में भी उन्होंने शिरकत की थी। इसके बार 8-9 अक्टूबर वह चीन और फिर 13 अक्टूबर को वह ईरान गए थे। उनके इन दौरों के पीछे भारत के खिलाफ समर्थन जुटाना था, जिसमें वह नाकाम रहे।
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