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इराक हमले के बाद PAK में अमेरिकी दूतावास को खास निर्देश, यात्रा पर लगा प्रतिबंध

ईरान और मिडिल ईस्ट में बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास को खास निर्देश जारी किए गए हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 09:46 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 10:53 AM (IST)
इराक हमले के बाद PAK में अमेरिकी दूतावास को खास निर्देश, यात्रा पर लगा प्रतिबंध
इराक हमले के बाद PAK में अमेरिकी दूतावास को खास निर्देश, यात्रा पर लगा प्रतिबंध

इस्लामाबाद, एएनआइ। ईरानी कुद्स बल के जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद क्षेत्र में बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास को खास निर्देश जारी किए गए हैं। इस खास निर्देश के तहत अमेरिकी दूतावास ने सरकारी अधिकारियों की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ऐसा सुरत्रा कारणों की वजह से किया जा रहा है।

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शुक्रवार को पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास को सूचित किया गया, 'इराक में हाल की घटनाओं पर संभावित प्रतिक्रियाओं को देखते हुए अमेरिकी दूतावास ने सरकारी कर्मचारियों की यात्रा को प्रतिबंधित कर दिया है।पाकिस्तान में अमेरिकी सरकारी कर्मियों को गैर-जरूरी आधिकारिक आंदोलनों और अधिकांश व्यक्तिगत आंदोलनों को स्थगित करना आवश्यक है।'

अमेरिका में संभावित प्रदर्शनों और संदिग्ध गतिविधि के लिए अपने आसपास की निगरानी के लिए पाकिस्तान में वाणिज्य दूतावास पर नजर बनाए हुए है।अमेरिका ने गुरुवार को बगदाद के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक हमले को अंजाम दिया, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निर्देश पर छह अन्य लोगों के साथ अमेरिकी की ओर से नामित जनरल सुलेमनी की मौत हो गई। 

अमेरिका ने सुलेमानी पर 27 दिसंबर के हमले सहित इराक में गठबंधन के ठिकानों पर कई हमले करने का आरोप लगाया था, जिसमें अमेरिकी और इराकी कर्मियों की मौत हो गई थी।

सुलेमानी की मौत के मायने

जनरल सुलेमानी को दुनिया भर में चल रहे शियाओं के संघर्ष और आंदोलन का मुख्य संरक्षणकर्ता माना जाता था।सुलेमानी की मौत का असर सीरिया की सियासी स्थिति पर पड़ सकता है क्योंकि वह राष्ट्रपति बशर अल असद के सलाहकारों में से एक थे। सुलेमानी ने इराक में आतंकी संगठन आइएस की जड़ें उखाड़ने में प्रमुख भूमिका अदा की। वहां शियाओं का संगठन खड़ाकर उसे प्रशिक्षण और हथियारों की मदद दी। इसी संगठन का मंगलवार को अमेरिकी दूतावास पर हमले के पीछे हाथ था।

यमन में भी सियासी व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। सत्ता पर कब्जे के लिए चल रहे हूती विद्रोहियों के संघर्ष को भी सुलेमानी का रणनीतिक और हथियारों का समर्थन प्राप्त था।लेबनान में भी सुलेमानी ईरानी हितों को साधने का काम करते थे। लेबनानी संगठन हिजबुल्ला और फलस्तीनी संगठन हमास को भी था सुलेमानी का हर तरह का समर्थन।


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