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पाकिस्तान: अहमदिया समुदाय की मस्जिद क्षतिग्रस्त, कट्टरपंथियों ने गिराई गुम्बद व मीनारें

पाकिस्तान में पुलिस की सहायता से कट्टरपंथियों ने अहमदिया समुदाय की मस्जिद तोड़ दी। इस क्रम में मस्जिद की गुम्बद और मीनारें भी गिरा दी गई। पाकिस्तान में लगभग चालीस लाख अहमदिया समुदाय के लोग रहते हैं। इन्हें पाकिस्तान में अल्पसंख्यक माना जाता है।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 02:03 PM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 02:03 PM (IST)
पाकिस्तान: अहमदिया समुदाय की मस्जिद क्षतिग्रस्त, कट्टरपंथियों ने गिराई गुम्बद व मीनारें
पाकिस्तान की अहमदिया समुदाय की तोड़ी मस्जिद

इस्लामाबाद , एएनआइ। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय पर भी अत्याचार की पराकाष्ठा हो रही है। ऐसी ही एक घटना में कट्टरपंथी मौलवियों के साथ हिंसक भीड़ ने अहमदिया समुदाय की मस्जिद को तोड़ डाला। यही नहीं अराजकता के इस काम में पुलिस भी मौजूद रहकर कट्टरपंथियों की मदद करती रही।

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पाक की असली तस्वीर को पेश करने वाली यह घटना गुजरांवाला जिले के गारमोला विकरन गांव की है। इस घटना पर सरकार की चुप्पी को एक पत्रकार बिलाल फारूकी ने ट्विटर पर पोस्ट करके तोड़ दिया। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाक की निंदा की जा रही है।

इस पत्रकार के अनुसार कट्टरपंथी मौलवियों के साथ सैकड़ों लोगों की भीड़ अहमदिया समुदाय की मस्जिद पर पहुंची। इनके साथ पुलिस भी थी। यहां पहुंचकर भीड़ ने उत्पात मचाया। बाद में हिंसक भीड़ ने मस्जिद की मीनारों और गुम्बद का विध्वंस कर दिया। यहां कलमा लिखे हुए थे, उनको भी अपवित्र कर दिया।

पाकिस्तान में लगभग चालीस लाख अहमदिया समुदाय के लोग रहते हैं। इन्हें पाकिस्तान में अल्पसंख्यक माना जाता है। अन्य अल्पसंख्यक समुदाय की तरह इन पर भी अत्याचार हो रहे हैं। पूर्व में भी यहां अहमदिया समुदाय की सौ साल पुरानी मस्जिद को तोड़ दिया गया था।

पत्रकार के इस खबर को ट्वीट करते ही इंटरनेट मीडिया पर भी पाक और यहां की कट्टरपंथी सोच की आलोचना हो रही है। अहमदिया समुदाय पर पाकिस्तान में जुल्म होने के संबंध में ब्रिटेन के सर्वदलीय संसदीय दल की एक रिपोर्ट में भी असलियत खोली गई थी।

औरत मार्च के आयोजकों पर ईशनिंदा में कार्रवाई की आलोचना 

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने औरत मार्च के आयोजकों के खिलाफ ईशनिंदा कानून के तहत कार्रवाई की निंदा की है। पाक में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए हर साल महिला दिवस पर औरत मार्च निकालती हैं, इसको लेकर कट्टरपंथियों में हलचल मची रहती है। इस बार इसके आयोजकों पर ईश निंदा कानून के तहत कार्रवाई चल रही है।


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