Move to Jagran APP

ईरान पर इमरान की लाचारी जान दंग रह जाएंगे आप, अनुच्‍छेद 370 पर पाक का किया था समर्थन

पाकिस्‍तान अमेरिका और ईरान के संघर्ष में तेहरान का खुलकर समर्थन नहीं कर पा रहा है। आखिर इसके पीछे पाकिस्‍तान की बड़ी मजबूरी क्‍या हो सकती है। यह एक दिलचस्‍प कूटनीतिक मामला है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 12:43 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 08:29 AM (IST)
ईरान पर इमरान की लाचारी जान दंग रह जाएंगे आप, अनुच्‍छेद 370 पर पाक का किया था समर्थन
ईरान पर इमरान की लाचारी जान दंग रह जाएंगे आप, अनुच्‍छेद 370 पर पाक का किया था समर्थन

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल। जम्‍मू कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के बाद ईरान उन मुल्‍कों में था, जिसने इस फैसले का खुलकर विरोध किया था। इस तरह वह पाकिस्‍तान के विरोध के साथ दृढ़ता से खड़ा था। इसके बावजूद पाकिस्‍तान अमेरिका और ईरान के संघर्ष में तेहरान का खुलकर समर्थन नहीं कर पा रहा है। आखिर इसके पीछे पाकिस्‍तान की बड़ी मजबूरी क्‍या हो सकती है। यह एक दिलचस्‍प कूटनीतिक मामला है।पाकिस्‍तान द्वारा ईरान का खुलकर समर्थन न दिए जाने के पीछे उस देश का नाम है, जिसके चलते पाक चाह कर भी ईरान का समर्थन नहीं दे सकता है। आइए हम आपको बताते हैं पाकिस्‍तान की उस विवषता को, उसकी लाचारी को। 

loksabha election banner

तेहरान-वाशिंगटन संघर्ष में सऊदी अरब निशाने पर 

ईरान और वाशिंगटन के बीच बढ़ते तनाव में सऊदी अरब भी तेहरान के निशाने पर है। इस समीकरण से पाकिस्‍तान बहुत अच्‍छे से वाकिब है। अगर तनाव से दोनों मुल्‍कों के बीच युद्ध जैसे हालात बने तो तेहरान सऊदी को छोड़ने वाला नहीं है। इस सत्‍य को पाकिस्‍तान कभी बर्दास्‍त नहीं कर सकेगा। क्‍योंकि सऊदी अरब और पाकिस्‍तान की गाढ़ी दोस्‍ती दुनिया में जगजाहिर है। दूसरे, सऊदी का अमेरिका के साथ काफी करीबी हित जुड़े हुए हैं। अमेरिका ने अगर ईरान में किसी भी तरह का हमला किया या युद्ध जैसे हालात पैदा किए तो उसका नुक़सान सऊदी अरब को सबसे ज़्यादा होगा। ईरान सऊदी अरब को जरूर निशाने पर लेगा, जिससे अमरीका के हित जुड़े हुए हैं। कई अमेरिकी सैन्‍य अड्डे सऊदी में हैं। ऐसे में पाकिस्‍तान किसी हाल में सऊदी को संकट में नहीं डाल सकता ।

  • पाकिस्‍तान और सऊदी संबंध

  • पाकिस्‍तान और सऊदी अरब के बेहतर संबंधों का अंदाजा इन दों बातों से लगाया जा सकता है। सऊदी विरोध के कारण 19-20 दिसंबर को मलेशिया में आयोजित कुआलालंपुर समिट में पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान हिस्‍सा नहीं ले सके थे। सऊदी अरब इस बात से ख़ुश नहीं था, क्योंकि मलेशिया सऊदी के नेतृत्व वाले ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी को नया मंच बनाकर चुनौती देने की कोशिश कर रहा था। मलेशिया ने सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया था। ईरान, तुर्की, क़तर और पाकिस्तान इसमें प्राथमिक तौर पर आमंत्रित किए गए थे।
  • पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री को आख़िरकार सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के सामने झुकना पड़ा था। ऐलान के बावजूद पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इस समिट में भाग नहीं ले सके थे।पाकिस्तान मलेशिया में 19-20 दिसंबर को आयोजित कुआलालंपुर समिट में हिस्सा नहीं लिया। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री महमूद शाह क़ुरैशी को इस मामले में सफाई देना पड़ा था। उन्‍होंने कहा था कि इमरान ने मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद को फ़ोन कर खेद जताया और कहा कि वो नहीं पहुंच पाएंगे। इस समिट में पीएम ख़ान इस्लामिक दुनिया पर अपनी बात कहने वाले थे।
  • इसके अलावा पाकिस्‍तान की एक बड़ी आबाद सऊदी अरब में रहती है। सऊदी पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है। 27 लाख पाकिस्‍तानी सऊदी अरब में काम करते हैं। वहां से आने वाली मुद्रा का पाकिस्‍तान के फॉरेक्‍स में बहुत बड़ा योगदान है। 

    जानें- इराक पर US एयर स्‍ट्राइक के अनछुए पहलू, अमेरिका-इराक के संबंधों में शिया फैैक्‍टर 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.