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अफगानिस्‍तान में चरम पर सत्‍ता संघर्ष, तालिबान में भी पड़ी फूट, गृह युद्ध की आशंका, हक्कानी का नेतृत्व चाहता है पाकिस्‍तान

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के तीन हफ्ते बाद भी नई सरकार के गठन की घोषणा नहीं हो सकी है। सरकार में हिस्सेदारी को लेकर तालिबान के विभिन्न धड़ों के बीच संघर्ष छिड़ गया है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 09:43 PM (IST)Updated: Mon, 06 Sep 2021 07:50 AM (IST)
अफगानिस्‍तान में चरम पर सत्‍ता संघर्ष, तालिबान में भी पड़ी फूट, गृह युद्ध की आशंका, हक्कानी का नेतृत्व चाहता है पाकिस्‍तान
अफगानिस्तान में सरकार में हिस्सेदारी को लेकर तालिबान के विभिन्न धड़ों के बीच संघर्ष छिड़ गया है।

नई दिल्ली, एजेंसियां। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के तीन हफ्ते बाद भी नई सरकार के गठन की घोषणा नहीं हो सकी है। सरकार में हिस्सेदारी को लेकर तालिबान के विभिन्न धड़ों के बीच संघर्ष छिड़ गया है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि शुक्रवार को तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच गोलीबारी तक हो गई। इसमें तालिबान के सह-संस्थापक और भावी सरकार के मुखिया बताए जा रहे मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के घायल होने की बात भी कही गई थी। हालांकि तालिबान की तरफ से इस पर कोई बयान नहीं आया है। वहीं, बरादर ने रविवार को काबुल में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात भी की।

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बीच बचाव करने पहुंचे आइएस प्रमुख 

समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी संगठनों में सत्‍ता के लिए चल रहे संघर्ष में बीच बचाव करने के लिए ही पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आइएसआइ प्रमुख फैज हामिद काबुल पहुंचे हैं।हालांकि पाकिस्‍तानी मीडिया का दावा है कि तालिबान के निमंत्रण पर ही वह काबुल पहुंचे हैं।

तालिबान में भी पड़ी फूट 

वहीं पेंटागन के पूर्व अधिकारी रहे सुरक्षा मामलों के विशेष माइकल रुबिन के मुताबिक हक्कानी नेटवर्क समेत तालिबान के विभिन्न धड़ों ने हिबातुल्ला अखुंदजादा को अपना नेता मानने से भी इन्कार कर दिया है। जबकि, तालिबान ने दो दिन पहले ही कहा था कि अखुंदजादा इस्लामिक अमीरात के सर्वोच्च नेता होंगे और उनके मातहत ही नई सरकार काम करेगी। 

आसान नहीं होगा मतभेद सुलझाना  

माइकल रुबिन ने यह भी कहा कि इन मतभेदों को सुलझाना आइएसआइ प्रमुख के लिए भी आसान नहीं होगा, क्योंकि क्वेटा शूरा हक्कानी नेटवर्क से अलग है। बता दें कि हक्कानी नेटवर्क नार्दर्न तालिबान से अलग है। वहीं अमेरिका के वरिष्ठ सैन्य जनरल मार्क मिले ने अफगानिस्तान में गृह युद्ध छिड़ने की आशंका जताई है।

आतंकी संगठनों में उभरे मतभेद 

रुबिन कहते हैं कि तालिबान ने पहले तीन सितंबर को नई सरकार के गठन की घोषणा की थी। परंतु, अभी तक इसकी घोषणा नहीं की जा सकी है। देरी की वजह सरकार में हिस्सेदारी को लेकर विभिन्न धड़ों के बीच गंभीर मतभेद बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन मतभेदों को सुलझाना आइएसआइ प्रमुख के लिए भी आसान नहीं होगा, क्योंकि क्वेटा शूरा हक्कानी नेटवर्क से अलग है। वहीं हक्कानी नेटवर्क नार्दर्न तालिबान से अलग है।

तालिबान ने जल्द सरकार बनाने का दावा किया 

तालिबान ने एक बार फिर कहा है कि जल्द ही नई सरकार का गठन कर दिया जाएगा। तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य अनामुल्ला समांगनी ने रविवार को फिर कहा कि जल्द ही एक समावेशी सरकार की घोषणा की जाएगी। लेकिन समांगनी ने भावी सरकार की रूपरेखा के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी।

सत्‍ता के लिए मरने मारने पर उतारू

वहीं समाचार एजेंसी एएनआइ ने कहा है कि बरादर और हक्कानी नेटवर्क के अनस हक्कानी के बीच सत्ता संघर्ष को लेकर ही शुक्रवार की रात गोलीबारी हुई थी। इन दोनों के बीच पंजशीर प्रांत के मसले को सुलझाने को लेकर भी गंभीर मतभेद पैदा हो गए हैं। पंजशीर आब्जर्वर के असत्यापित ट्विटर हैंडल से बरादर और हक्कानी धड़े के बीच गोलाबारी की जानकारी दी गई है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि बरादर जख्मी हैं और उनका इलाज पाकिस्तान में चल रहा है।

हक्कानी के नेतृत्व में सरकार चाहता है पाकिस्तान

यह भी कहा जा रहा है कि शनिवार को अचानक काबुल पहुंचे आइएसआइ प्रमुख हामिद का मुख्य मकसद हक्कानी नेटवर्क की अगुआई में सरकार बनवाना है। अफगानिस्तान की पूर्व सांसद मरियम सोलेमानखिल ने कहा था कि हामिद यह सुनिश्चित करने काबुल आएं हैं कि अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में अफगानिस्तान में सरकार नहीं बनने पाए।

आइएसआइ की कठपुतली है हक्कानी नेटवर्क

मरियम ने ट्वीट कर कहा कि जहां तक उन्हें पता है कि हामिद हक्कानी के नेतृत्व में सरकार बनवाने आए हैं। हक्कानी नेटवर्क आइएसआइ की कठपुतली है। हालांकि, पाकिस्तानी मीडिया में दावा किया जा रहा है कि हामिद भावी अफगानिस्तान को लेकर चर्चा करने गए हैं।

अमीर अल-मुमिनिन के नेतृत्व में होगी नई सरकार

टोलो न्यूज ने तालिबान के नजदीकी सूत्रों के हवाले से कहा है कि अफगानिस्तान में नई सरकार धार्मिक नेता अमीर अल-मुमिनिन के नेतृत्व में होगी। एक प्रधानमंत्री भी नियुक्त किया जाएगा। तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य अनामुल्ला समांगनी ने भी रविवार को कहा कि सभी को धैर्य रखना चाहिए। मुल्ला हिबातुल्ला अखुंदजादा के नेतृत्व में नई सरकार बनेगी।

संघर्ष पर तालिबान का कोई बयान नहीं

सरकार को लेकर विभिन्न धड़ों के बीच संघर्ष पर तालिबान की तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है। इससे भी संदेह पैदा हो रहा है कि सबकुछ ठीक नहीं है। इस तरह की किसी खबर के आने के तुरंत बाद तालिबान की तरफ से बयान दिया जाता है। 

बरादर ने शीर्ष संयुक्त राष्ट्र अधिकारी से की मुलाकात

काबुल में तालिबान नेता बरादर ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफिथ से मुलाकात की और अफगानिस्तान के लिए मानवीय सहायता देने का आग्रह किया। टोलो न्यूज ने बताया कि यह मुलाकात विदेश मंत्रालय में हुई। ग्रिफिथ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान को मानवीय सहायता और सहयोग जारी रखेगा।

600 तालिबान आतंकियों को मार गिराने का दावा

समाचार एजेंसी रायटर की खबर के मुताबिक पंजशीर प्रांत पर कब्जे को लेकर तालिबान और नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट आफ अफगानिस्तान (एनआरएफए) के बीच लड़ाई तेज हो गई है। रविवार को तालिबान ने दावा किया कि उसके लड़ाके पंजशीर के सात में से चार जिलों पर कब्जा जमा लिया है और राजधानी बजरक में लड़ाई हो रही है। विरोधी सेना ने इस दावे को खारिज करते हुए दावा किया उसने प्रांत के पूर्वोत्तर हिस्से में 600 तालिबानियों को मार गिराया है और एक हजार से ज्यादा को गिरफ्तार किया गया है।

सालेह ने खारिज किया तालिबान का दावा

पंजशीर में प्रतिरोधी सेना के नेता और अफगानिस्तान के पहले उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने तालिबान द्वारा चार जिलों पर कब्जे की खबरों को खारिज किया है। विपक्षी सेना के प्रवक्ता फहीम दास्ती ने ट्वीट कर कहा कि परयान जिले को खाली करा लिया गया है। वहां 600 तालिबानियों का सफाया कर दिया गया है। एक हजार से अधिक तालिबान को पकड़ लिया गया है।

तालिबान के साथ बातचीत को तैयार : मसूद

रायटर के मुताबिक एनआरएफए के नेता अहमद मसूद ने पंजशीर घाटी में लड़ाई खत्म करने के लिए उलेमा परिषद के बातचीत के प्रस्ताव का स्वागत किया है। एनआरएफए के फेसबुक पेज पर मसूद ने लिखा कि शांति स्थापना के लिए फ्रंट तत्काल लड़ाई बंद करने के लिए तैयार है। साथ ही तालिबान भी पंजशीर और पड़ोसी अंदराब प्रांत में हमले बंद करे। उलेमा परिषद ने तालिबान से भी लड़ाई बंद करने की अपील की है।


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