बातचीत के बाद भी अफगान शांति पर नहीं बनी सहमति, तालिबान बोला- हम युद्ध के लिए बाध्य
अफगान तालिबान ने कहा है कि अमेरिका और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ जारी वार्ताओं के बावजूद अब तक ऐसे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ वैमनस्य तत्काल खत्म हो सके।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। अफगान तालिबान ने कहा है कि अमेरिका और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ जारी वार्ताओं के बावजूद अब तक ऐसे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ वैमनस्य तत्काल खत्म हो सके। मीडिया की एक खबर में यह बात कही गई है।
हम युद्ध के लिए बाध्य: तालिबान प्रवक्ता
डॉन न्यूज टीवी ने तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद के एक वीडियो को चलाया, जिसमें वह कह रहा था, ‘हम युद्ध के लिए बाध्य हैं। हमारे शत्रु हम पर हमला कर रहे हैं, तो फिर हम भी उनसे लड़ रहे हैं।’ 2001 में 9/11 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका की अगुवाई में गठबंधन सेनाओं ने अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ अभियान छेड़ा था। तब से अब तक तालिबान फिलहाल युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में सर्वाधिक शक्तिशाली है और देश के करीब आधे हिस्से में उसका नियंत्रण है।
पिछले महीने दोहा में 6 दिन चली बातचीत
पिछले माह दोहा में तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ छह दिन की बातचीत के बाद अफगानिस्तान सुलह सहमति के लिए विशेष अमेरिकी प्रतिनिधि जालमे खलीलजाद ने ट्वीट में कहा कि अमेरिका ने तालिबान के साथ शांति वार्ताओं में उल्लेखनीय प्रगति की है। खलीलजाद ने कहा था कि हमने फ्रेमवर्क का एक मसौदा बनाया है, लेकिन इसे समझौते का रूप देने से पहले इस पर विचार करना होगा। उन्होंने कहा था तालिबान अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों का मंच बनने से रोकेगा।
17 साल से अधिक समय से चल रहा युद्ध
खलीलजाद की नियुक्ति सितंबर में हुई थी। तब से वह अमेरिका के इस सबसे लंबे युद्ध को खत्म करने की कोशिश में सभी पक्षों से मिल चुके हैं। 17 साल से अधिक समय से चल रहे इस युद्ध में अमेरिका 2,400 से अधिक सैनिकों को गंवा चुका है। चैनल की खबर के अनुसार, मुजाहिद का कहना है कि मास्को वार्ता में भी ऐसा कुछ ठोस हासिल नहीं हुआ, जिसके चलते वह युद्ध और सैन्य दबाव को खत्म कर पाते।
अमेरिका और तालिबान के बीच बातचीत की पहल
उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका के साथ तालिबान उनकी अपनी पहल पर बातचीत कर रहा है। चैनल के मुताबिक, वार्ता के समय के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उग्रवादी कमांडर ने कहा कि पहले भी तालिबान ने वाशिंगटन से युद्ध के बजाय वार्ता करने के लिए कहा था। मुजाहिद ने कहा कि उन्होंने बातचीत के लिए 2013 में कतर के दोहा में एक राजनीतिक कार्यालय भी खोला, लेकिन वाशिंगटन तब बातचीत करने का इच्छुक नहीं था। प्रवक्ता ने कहा कि अब अमेरिका बातचीत का इच्छुक है तो उन्होंने उनसे वार्ता का फैसला किया।
तालिबान को वार्ता के लिए राजी कराने में पाकिस्तान की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर मुजाहिद ने कहा किसी बाहरी देश की ओर से कोई भूमिका नहीं निभाई जा रही है। यह हमेशा से हमारी पहल और नीति रही है। उसने हालांकि कहा कि सोवियत हमले के दौरान पाकिस्तान अफगान शरणार्थियों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।