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पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 263 चिकित्सा केंद्रों को किया गया बंद, सामने आई यह बड़ी वजह

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 263 चिकित्सा केंद्रों को बंद कर दिया गया है। सभी चिकित्सा केंद्र अवैध रूप से चल रहे थे। पंजाब हेल्थकेयर कमीशन ने पिछले महीने प्रांत के 11 जिलों में यह कार्रवाई की है।

By Achyut KumarEdited By: Published: Mon, 01 Aug 2022 02:28 PM (IST)Updated: Mon, 01 Aug 2022 02:28 PM (IST)
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 263 चिकित्सा केंद्रों को किया गया बंद, सामने आई यह बड़ी वजह
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 263 अवैध उपचार केंद्र बंद (प्रतीकात्मक तस्वीर)

इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान के पंजाब हेल्थकेयर कमीशन (पीएचसी) ने पिछले महीने प्रांत के 11 जिलों में 263 अवैध उपचार केंद्रों को बंद कर दिया है। यह कदम पीएचसी के अवैध चिकित्सालयों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत उठाया गया है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।

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1473 उपचार केंद्रों पर मारा छापा

पीएचसी के प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि आयोग की प्रवर्तन टीमों ने लगभग 1,473 उपचार केंद्रों पर छापा मारा। इस दौरान टीम ने पाया कि 367 झोलाछाप डाक्टरों ने इलाज करना छोड़ दिया है। जबकि 78 केंद्र कानूनी हो गए क्योंकि योग्य चिकित्सकों ने वहां मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिया था।

  • प्रवक्ता ने कहा कि लगभग 752 उपचार केंद्र टीम की निगरानी में हैं। 
  • लाहौर जिले में लगभग 604 दुकानों पर छापे मारे गए और 122 अवैध केंद्रों को बंद किया गया।
  • मुल्तान शहर में कुल 231 दुकानों पर छापेमारी की गई और 45 को बंद किया गया। 
  • रावलपिंडी में 205 केंद्रों पर छापे मारे गए और 28 को सील किया गया।
  • कसूर में कुल 19, मुजफ्फरगढ़ में नौ, बहावलनगर में आठ और ननकाना साहिब और सरगोधा में सात-सात, चकवाल, शेखूपुरा और झेलम में पांच-पांच आउटलेट बंद किए गए।

बता दें, कई विदेशी दवा बहुराष्ट्रीय निगम (एमएनसी) पाकिस्तान से बाहर जाने की योजना बना रहे हैं क्योंकि सरकार ने सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) और अन्य कच्चे माल पर भारी कर लगाया है, जिससे उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है। महत्वपूर्ण दवा की कमी के कारण सैकड़ों रोगी पीड़ित हैं क्योंकि विशेष ब्रांड बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।

बाजार से गायब हुईं 60 जरूरी दवाएं  

पहले दवा कंपनियां सिर्फ पैकेजिंग मैटेरियल पर टैक्स देती थीं। उन्होंने सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) या अन्य कच्चे माल पर बिक्री कर का भुगतान नहीं किया। हालांकि, सरकार द्वारा लगाए गए करों के कारण उत्पादन लागत में 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई। नतीजतन, आत्महत्या-रोकथाम दवाओं सहित लगभग 60 आवश्यक दवाएं बाजार से गायब हो गई हैं।

पाकिस्तानी रुपये में गिरावट जारी

सरकार द्वारा 17 प्रतिशत वापसी योग्य कर को घटाकर 1 प्रतिशत गैर-वापसी योग्य कर कर दिया गया जो विभिन्न चरणों में लगाया जाता है। नतीजतन, उनकी लागत में 6 से 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। शिपिंग शुल्क में 4 गुना वृद्धि हुई और पाकिस्तानी रुपये में गिरावट जारी रही। इससे एपीआई और अन्य सामग्रियों की कीमत में वृद्धि हुई।

खुदरा विक्रेताओं को 17 प्रतिशत की छूट, परिवहन लागत, गोदाम, स्टाफ रोल आदि एमआरपी में शामिल है। मार्जिन महज 5 फीसदी है। मुद्रा में उतार-चढ़ाव के परिणामस्वरूप, खुदरा विक्रेताओं को अपनी कीमतें बढ़ानी पड़ती हैं। चल रहे आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान को अब अंतरराष्ट्रीय निवेशकों द्वारा उच्च डिफाल्ट जोखिम वाले देश के रूप में माना जाता है। 


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