कोविड-19 से लड़ने के लिए वैक्सीन केंद्रीय रणनीति होनी चाहिए- WHO
कोरोना का कहर अमीर और गरीब सभी देशों के बीच वैक्सीन के समान वितरण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जोर दिया और सीरम के सीईओ पूनावाला ने वैक्सीन असमानता से निपटने के लिए सभी देशों से साथ आने को कहा।
दावोस, प्रेट्र। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के स्वास्थ्य आपातकालीन कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक माइकल रेयान ने मंगलवार को कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन केंद्रीय रणनीति होनी चाहिए। विश्व के कई हिस्सों, खासकर गरीब देशों तक वैक्सीन पहुंच नहीं होने पर चिंता जताते हुए रेयान ने कहा कि इस लड़ाई में टीके का समान वितरण भी आवश्यक है।
रेयान वर्ल्ड इकोनामिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के दावोस एजेंडा 2022 शिखर सम्मेलन में वैक्सीन समानता की चुनौतियों का सामना विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस चर्चा में शामिल नेताओं ने कम समय में कोरोना रोधी वैक्सीन के विकास को महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि करार दिया।
रेयान ने कहा कि विकसित देश अपने लोगों को कोरोना रोधी वैक्सीन की चौथी डोज लगाने की बात कर रहे हैं, जबकि अफ्रीका में बहुत बड़ी आबादी को अभी एक डोज भी नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन वितरण में असमानता न सिर्फ वैश्विक स्वास्थ्य बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी नुकसानदेह है।
स्वास्थ्य इमरजेंसी इस साल खत्म हो सकती है
रेयान ने यह भी कहा कि अगर वैक्सीन और दवाओं की असमानता को जल्द खत्म कर दिया जाता है तो इस साल विश्व को कोरोना से पैदा हुई स्वास्थ्य इमरजेंसी से मुक्ति मिल सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस अब खत्म तो नहीं होगा, लेकिन इससे होने वाली मौतें रुक जाएंगी और अस्पताल को कोरोना के मरीजों से मुक्ति मिल जाएगी। इसके चलते लाकडाउन भी नहीं लगाना पड़ेगा।
सीरम ने पाबंदियों के चलते वैक्सीन का उत्पादन घटाया
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आयोजित इसी कार्यक्रम में भारत की अग्रणी वैक्सीन उत्पादक कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि विश्व स्तर पर लगी कुछ पाबंदियों के चलते उन्हें कोरोना वैक्सीन के उत्पादन में कटौती करनी पड़ी। भारत सरकार द्वारा पिछले साल वैक्सीन के निर्यात पर लगी रोक हटाने से वह उत्साहित हैं। वैक्सीन असमानता से निपटने में बड़े योगदान की उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि सभी देशों को साथ आकर निर्यात प्रतिबंधों समेत कुछ बाधाओं को दूर करने के लिए समझौता करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैक्सीन असमानता को दूर करने के लिए कोई जादुई समाधान नहीं है, बल्कि इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।
इजरायल ने वैरिएंट रडार विकसित किया : नफ्ताली
इसी कार्यक्रम में इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने कहा कि उनके देश ने एक वैरिएंट रडार विकसित किया है। इससे कोरोना वायरस के उभरते वैरिएंट का पता चल जाता है। इसी की मदद से इजरायल ने ओमिक्रोन का तभी पता लगा लिया था, जब उसका नाम भी नहीं रखा गया था और उससे बचने के तत्काल कदम उठाने भी शुरू कर दिए थे।
स्वस्थ बच्चों व किशोरों को बूस्टर डोज की जरूरत नहीं
इस बीच, डब्ल्यूएचओ की मुख्य विज्ञानी सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि इसके कोई साक्ष्य नहीं हैं कि स्वस्थ बच्चों और किशोरों को कोरोना की बूस्टर डोज देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि अधिक संक्रामक ओमिक्रोन के खिलाफ वैक्सीन की प्रतिरक्षा कुछ कमजोर पड़ रही है, लेकिन बूस्टर डोज किसके लिए जरूरी है यह जानने के लिए अभी और शोध की जरूरत है।
आस्ट्रेलिया में कोरोना से रिकार्ड मौतें
आस्ट्रेलिया में मंगलवार को कोरोना से रिकार्ड 74 मौतें दर्ज की गईं। आस्ट्रेलिया के तीन सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों-न्यू साउथ वेल्स, विक्टोरिया और क्वींसलैंड में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। मरने वालों में भी इन्हीं तीनों राज्यों से हैं। इसमें न्यू साउथ वेल्स में 36, विक्टोरिया में 22 और क्वींसलैंड में 16 मौतें शामिल हैं। इससे पहले चार सितंबर, 2020 को सबसे ज्यादा 59 मौतें हुई थीं।
विदेश से भेजे गए पैकेट से फैला है ओमिक्रोन : चीन
चीन के सरकारी मीडिया का कहना है कि हो सकता है कि विदेश से भेजे गए पार्सल से बीजिंग और अन्य जगहों पर कोरोना वायरस का ओमिक्रोन वैरिएंट फैला हो, हालांकि विदेशी स्वास्थ्य विशेषज्ञों में इसको लेकर संदेह है कि वायरस पैकेट से फैल सकता है।
स्टेट पोस्ट ब्यूरो ने कहा कि उसने उन स्थलों को हवादार और रोगाणुरहित करने के लिए कड़े कदम उठाने का आदेश दिया है, जहां विदेशों से भेजी गई वस्तुओं को संभाला जाता है। समाचार पत्र 'ग्लोबल टाइम्स' ने मंगलवार को कहा कि जांचकर्ताओं ने पाया कि नए संक्रमित लोगों ने कनाडा और अमेरिका से आए पैकेट प्राप्त किए थे।
ओमिक्रोन से अमेरिका में हजारों मौतों का खतरा
नए आकलन के आधार पर कहा गया है कि अमेरिका में ओमिक्रोन से 50 हजार से तीन लाख तक मौतें हो सकती हैं। इस आकलन का आधार सात दिन के औसत मौतों को बनाया गया है। इसके मुताबिक पिछले साल नवंबर के मध्य से ही मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं। 17 जनवरी को करीब 1700 मौतें हुई हैं। हालांकि, अभी भी यह पिछले साल जनवरी में औसत 3,300 मौतों की तुलना में कम है। इसमें कहा गया है कि ओमिक्रोन तेजी से फैल रहा है। अगर यह कम घातक भी है तब भी अधिक जोखिम वाले लोग इसकी चपेट में आएंगे और ऐसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।